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    Tuesday, April 30, 2024
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      नदी में डूबने से दो बच्ची की मौत या भ्रष्ट-निकम्मे तंत्र ने ली बलि!

      “नालंदा जिला बिहार के सीएम नीतीश कुमार का घर-आंगन माना जाता है। विपक्ष भी हमेशा कहता रहा है कि इसी जिले में विकास उड़ेली गई है। सात निश्चय योजना के तहत गांवों को शहरों के नक्शे में ढाल दिया गया है। लेकिन क्या वाकई वैसी तस्वीर देखने को मिलती है…..?

      crouption 1एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। खबर है कि छबिलापुर थाना के मालीसाढ़ गांव में पैमार नदी में डूबने से दो चचेरी बहनों की मौत हो गयी। दोनों बच्चियां शाम के अंधेरे में शौच के लिए नदी के किनारे गयी थी। इस दौरान वह डूब कर काल के गाल में समा गई। दोनों बच्चियों की उम्र करीब 5 वर्ष बताई जाती है।

      इस हादसे के बाद पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम करा परिजन के हवाले कर दिया है। वहीं बीडीओ ने पीड़ित परिवार को पारिवारिक लाभ के तहत 20-20 हजार रुपये दिये और आपदा के तहत देय मुआवजे का आश्वासन दिया।

      दरअसल गहराई से देखें तो यह हादसा दो महत्वपूर्ण विकास योजनाओं और उसके प्रचार अभियान की पोल खोलती है। यहां ओडीएफ और जल-नल योजना में सिर्फ लूट-खसोंट और अनियमियता बरती गई है। पूर्व के डीएम डॉ. त्यागराजन कागजी घोड़े दौड़ाते रहे। उन्होंने कभी भी जमीनी पड़ताल और जांच-कार्रवाईयां नहीं की।

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      नालंदा जिले में शायद ही कोई ऐसा गांव हो, जहां सीएम सात निश्चय की कोई योजना धरातल पर सही तस्वीर प्रस्तुत करती हो। खुले में शौच से मुक्ति के लिए बनाए गए शौचालय बिचौलियों-दलालों की भेंट चढ़ती गई। जल-नल योजना में हर स्तर पर भ्रष्टाचार कायम है।

      मालीसाढ़ गांव में दो बच्चियों की शाम अंधेरे अकाल मौत कोई एकल हादसा नहीं है। आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती है। इसमें बच्चियों-महिलाओं के साथ छेड़खानी, दुष्कर्म की पीड़ा भी जुड़ी हुई हैं।

      ग्रामीणों का यह कहना कि गांव में पानी की कमी है। इसलिए बच्चियां शौच के लिए नदी के पास गयी थी। खुद में एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। सीएम का जिला और पानी नहीं। शौचालय नहीं। सरकार के नुमाइंदों के पास पारिवारिक लाभ और आपदा के तहत राशि है, लेकिन ऐसों निकम्मों के पास जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं के निराकरण करने की फुरसत नहीं।

      अधिक चिंताजनक स्थिति यह है कि ग्रामीण अपनी समस्याओं की शिकायत करते हैं। प्रखंड-अंचल में बैठे बाबूओं की कान की ठेंठी जस की तस रहती है। ओडीएफ की 12 हजार की राशि वे नहीं दे पाते। बीच में बिचौलिए-दलालों को लगा देते हैं।

      मुख्यमंत्री और उनके चहेते ग्रामीण विकास मंत्री के जिले में इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि सात निश्चय योजना के तहत पेयजल का इंतजाम नहीं हो पाया है। न ही शौचालय बन सका है। बना भी है तो सिर्फ भ्रष्टतंत्र की कहानी कहती और इस कहानी में सबसे अधिक मिलीभगत निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की ही अधिक रही है।

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