“जदयू नेता की हाजत में मौत मामले में नगरनौसा थानाध्यक्ष कमलेश कुमार समेत दो दरोगा सस्पेंड। लिए गए हिरासत में।आईजी और डीआईजी पहुँचे थाना। उग्र ग्रामीणों ने नगरनौसा में पुलिस के विरोध में सड़क पर आगजनी करते हुए बिहार शरीफ-फतुहां मार्ग को आगजनी करते हुए किया जाम व पथराव। पथराव में कई पुलिसकर्मी जख्मी। पुलिस ने किया लाठी चार्ज ……”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (नालंदा ब्यूरो)। नगरनौसा थाने में जेडीयू दलित प्रकोष्ठ के प्रखंड अध्यक्ष गणेश रविदास द्वारा फांसी लगाए जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है।
शव को देखते ही परिजन भड़क उठे और पुलिस के ऊपर टार्चर के बाद फांसी लगाकर हत्या किये जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
मौत के बाद हरकत में आई नालंदा पुलिस प्रशास के वरीय पुलिस अधिकारियों के सामने मेडिकल टीम के द्वारा बिहार शरीफ सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराई गयी। साथ पोस्टमार्टम की वीडियो ग्राफ़ी भी कराई गयी है।
इधर दूसरी ओर उग्र ग्रामीणों ने नगरनौसा में पुलिस के विरोध में सड़क पर आगजनी करते हुए बिहार शरीफ-फतुहां मार्ग को आगजनी करते हुए जाम कर दिया। इसे लेकर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किए जाने खबर है।
इधर नगरनौसा पुलिस का कहना है कि गणेश रविदास शौच के लिए गए थे और वहीं उन्होंने फांसी लगा लिया। नालंदा एसपी ने पुलिस प्रताड़ना से आत्महत्या किये जाने की बात से साफ इंकार करते हुए जाँच की बात कही कि आखिर इसने आत्म हत्या क्यों की।
बताया जाता है कि एक किशोरी के अपहरण के मामले में पुलिस ने घटना के दो दिन पहले गणेश रविदास को पूछताछ के लिए घर से उठा लिया था। जबकि गणेश रविदास इस मामले में आरोपित नहीं थे।
बाबजूद पुलिस उन्हें बुलाकर हाजत में बंद कर दिया। अगर पुलिस की बातों को सही भी माने तो गणेश शौच के लिए गए थे और अंदर से बंद कर फांसी लगा लिया।
लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि बाथरूम में फांसी लगाने के लिए रस्सी कहां से आयी और अगर गणेश को टार्चर नहीं किया गया तो फिर शरीर पर जख्म के निशान कहां से आये।
इस मामले ने नालंदा पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। अगर इस मामले का सही तरीके से अनुसन्धान होगा तो नगरनौसा पुलिस को जेल जाना तय मना जा रहा है।