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    Sunday, December 8, 2024
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      जानें कब और कैसे फोटो और थंब इंप्रेशन मिक्स करते हैं सॉल्वर गैंग

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। इस साल भी देश भर में नीट यूजी में कई अनियमितताएं सामने आयी हैं। राज्य में भी अलग-अलग जिलों से दूसरे के बदले परीक्षा देते हुए 25 से अधिक लोग पकड़े गए हैं। इसमें 11 से अधिक एमबीबीएस स्टूडेंट्स भी हैं। इनमें स्कॉलर को बैठाने का मामला सबसे प्रमुख है।

      सवाल यह खड़ा होता है कि परीक्षाओं में एनटीए की सख्ती के बावजूद स्कॉलर किस तरह शामिल हो रहे हैं। इस पर बातें बतायी हैं, जो चौंकाने वाली हैं। नीट में काफी डमी कैंडिडेट्स बैठाये जाते हैं। डमी कैंडिडेट्स बैठाने की खोज नीट नोटिफिकेशन जारी होने से पहले ही शुरू हो जाती है। बाकायदा इसके लिए पूरा गिरोह काम करता है।

      इनके पास मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले प्रतिभाशाली छात्रों का पूरा डेटा भी होता है। यह गिरोह इन प्रतिभाशाली एमबीबीएस स्टूडेंट्स से संपर्क करते हैं। गिरोह इनसे डायरेक्ट संपर्क में नहीं आता है। इसी में कई स्टूडेंट्स पैसों के लालच में इनसे जुड़ जाते हैं और एग्जाम में स्कॉलर के तौर पर बैठ जाते हैं।

      गौरतलब है कि रविवार पांच मई को नीट यूजी का आयोजन किया गया परीक्षा में पटना, वैशाली, पूर्णिया, रांची, सवाई माधोपुर, भरतपुर में कई अनियमितताएं सामने आयी हैं। इनमें स्कॉलर बैठाने का मामला सबसे प्रमुख है।

      उम्मीदवार से हमशक्ल वालों की रहती है तलाश:

      स्कॉलर किसी गिरोह विशेष की ओर से उपलब्ध करवाये जाते हैं। यानी, यह गिरोह असली उम्मीदवार से मिलती हुई किसी शक्ल वाले को तलाशते हैं। उसे धन का प्रलोभन देकर बतौर डमी कैंडिडेट (स्कॉलर) से पेपर दिलवाते हैं। करीब एक साल पहले से ही डमी कैंडिडेट की तलाश प्रारंभ हो जाती है।

      गिरोह नीट में बेहतर करने वाले स्टूडेंट्स का भी डिटेल्स रखता है। इसमें कई प्रकार के प्रलोभन में इन्हें शामिल करता है, क्योंकि यह गिरोह 40 से 60 लाख रुपये में नीट में बेहतर स्कोर दिलाने का डील करता है। इसके बाद इन स्कॉलर को भी रिजल्ट देने पर 20 लाख रुपये देते हैं। नीट का सेंटर बनाने के लिए संबंधित संस्थान को एनटीए में आवेदन करना होता है। एनटीए सेंटर का बैकग्राउंड चेक करता है, वहां केंद्राधीक्षक की नियुक्ति करता है।

      इसके बाद परीक्षा से संबंधित काम की ड्यूटी लगाना केंद्राधीक्षक का ही काम होता है। एनटीए इसके बाद एक ऑब्जर्वर लगाता है। ऑब्जर्वर किसी भी संस्थान का हो सकता है, केंद्र पर होने वाली किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की पहली जिम्मेदारी केंद्राधीक्षक की होती है। जिन कर्मचारियों की ड्यूटी परीक्षा के दौरान लगायी जाती है, उन पर भी सवाल उठ रहे हैं।

      दरअसल, शेखपुरा जिले में भी एक सेंटर पर परीक्षा के एक घंटे बीत जाने के बाद तुरंत प्रश्नपत्र व ओएमआर शीट ले ली गयी। दूसरा प्रश्नपत्र व ओएमआर शीट परीक्षार्थियों को दिया गया।

      इसी तरह सवाई माधोपुर में गलत पेपर वितरित किये जाने से हंगामा हुआ था। पेपर वितरित करने वाले कर्मचारियों को इतना भी नहीं पता था कि अंग्रेजी व हिंदी का पेपर किन-किन छात्रों को देना है।

      डमी व असली अभ्यर्थी का फोटो किया जाता है मिक्स, थंब इंप्रेशन भी बनाया जाता हैः

      कहा जाता है कि सॉल्वर गिरोह फॉर्म फिलिंग के समय से ही एक्टिव हो जाते हैं। सॉल्वर गिरोह वे होते हैं, जो परीक्षा में असली उम्मीदवार की जगह डमी कैंडिडेट या कहे तो स्कॉलर से एग्जाम दिलवाते हैं।

      यहां तक कि नीट के फॉर्म में लगने वाले फोटो व थंब इंप्रेशन भी इन डमी कैंडिडेट्स के होते हैं, डमी व असली उम्मीदवार की फोटो मिक्स करके फॉर्म पर लगाया जाता है।

      परीक्षा में डमी उम्मीदवार अपना थंब इंप्रेशन लगाकर प्रवेश कर जाते हैं। थंब इंप्रेशन ऑरिजनल स्टूडेंट्स का होता है, जिसे डमी कैंडिडेट्स अपने हाथ पर चिपका कर जाते है, जो पता नहीं चल पाता है।

      डमी कैंडिडेट्स के साथ ही सेंटर अलॉटमेंट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। एनटीए ने कभी भी सेंटर अलॉटमेंट प्रोसेस के बारे में स्पष्ट नहीं बताया है।

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