“ झारखंड (मुकेश भारतीय)। कुछ तस्वीरें मानवता को शर्मशार कर देती है तो कुछ तस्वीरें मन-मस्तिष्क को झकझोर डालती है। आये दिन इस तरह की तस्वीरें उजागर होती रहती है। लेकिन किसी राज्य के मुखिया यानि सीएम की आंखों के सामने की ऐसी तस्वीर देखने को मिले तो दिमागी झन्नाहट को बखूबी समझा जा सकता है।”
राजधानी रांची से प्रकाशित हिन्दी दैनिक भास्कर में एक फ्रंट ली़ड फोटो प्रकाशित हुई है। इस तस्वीर के साथ अखबार ने भी बड़ी दिलचस्प तरीके से लिखा है कि
“मुख्यमंत्री रघुवर दास 62 साल के हैं। मगर लगातार दौरे कर रहे हैं। बजट पूर्व संगोष्ठी और बैठकों में व्यस्त हैं। लेकिन झारखंड के जवान परेड के दौरान बेहोश हो रहे हैं। बुधवार को धुर्वा के होमगार्ड प्रशिक्षण केंद्र में होमगार्ड का स्थापना दिवस मनाया जा रहा था। मुख्यमंत्री परेड की सलामी लेने वाले थे। इससे पहले ही परेड में शामिल एक जवान केश्वर साहू बेहोश होकर गिर पड़े।
साथी जवानों ने उन्हें उठाकर पीछे रख दिया और परेड में शामिल हो गए। परेड के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। कुछ दिन पहले जैप वन ग्राउंड में भी एक महिला कांस्टेबल परेड के दौरान बेहोश हो गई थीं।”
अब सबाल उठता है कि सीएम के समक्ष परेड के दौरान एक जवान किसी कारणवश वेहोश हो जाता है और उसके संगी-साथी जवान सीएम की परेड में कोई खलल न पड़े, महज इस कारण से उसे वेहोशी की हालत में ही पीठ पीछे खुली ठंढ-धूप में यूं ही छोड़ जाता है।
उधर सीएम भी मार्शल जनरल टाइप सलामी लेने में मस्त हैं। इस तरह की किसी भी संवैधानिक या प्रशासनिक रस्म को मानवता और संवेदनशीलता से उपर नहीं कहा जा सकता।
क्या महज प्रशासनिक रस्मों-रिवाज के सामने एक जवान का जीवन कोई मायने नहीं रखता? इसका बेहतर जबाव तो सीएम रघुबर साहब ही दे सकते हैं, क्योंकि उनकी ही आंखों के सामने सब कुछ हुआ है। मेरी राय में मानवता से उपर कुछ भी नहीं। न कोई कानून, न कोई अनुशासन और न ही कोई मर्यादा।