एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। कहने को हिन्दुस्तान एक गणतंत्र देश है लेकिन, यहाँ आज भी समस्याओं का हल झाड फूँक, जादू-टोने से ही किया जाता है। कभी कोई गांव जेवार में अखंड कीर्तन का आयोजन हुआ नहीं कि तरह-तरह के बहुरूपिए पहुँच जाते हैं।
समाज में व्याप्त अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी है कि 21 वीं सदी के आखिरी पड़ाव पर भी जादू टोना,झाड-फूंक लोगों के सर पर चढ़ कर बोलता है। ऐसे ही अंधविश्वास की बलि के हत्थे आज एक ओझा खुद चढ़ गया।
48 घंटे के अखंड के दौरान खुद को जमीन के अंदर अपने को दफन कर जिंदा रहने का दावा करने वाले एक ओझा जीवित निकलने के वजाय उसकी लाश जमीन से निकाली गई।
अंधविश्वास की यह घटना नालंदा जिले के चंडी थाना क्षेत्र के जागोविगहा में देखने को मिली। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में कर लिया है।
बताया जाता है कि चंडी थाना क्षेत्र के जागोविगहा गाँव में 48 घंटे का अखंड का आयोजन किया गया था। इस अखंड का आयोजन एक रिटायर्ड चौकीदार तथा एक वर्तमान चौकीदार के साथ पंचायत के सरपंच ने किया था। जिसमें बोधिविगहा और लोदीपुर के ग्रामीणों की भी सहभागिता थीं।
इस अखंड के आयोजन के मौके पर करायपरसुराय के निमिया तुलसीपुर गाँव के 65 वर्षीय ओझा कामेश्वर पासवान पहुँचा। वह गांव वालों से दावा करने लगा कि वह जमीन के अंदर अखंड खत्म होने तक जीवित रह सकता है। गाँव वाले उसकी बातों में आ गए।
ग्रामीणों ने उसे जमीन के अंदर मिट्टी से दबा दिया तथा पटरा रखकर मिट्टी का लेप से उपर में पालिथीन रख दिया। अखंड के दौरान लोग उसी जगह अखंड करने लगें।
जब अखंड समाप्त हुआ तो लोगों ने उस ओझा को जमीन से निकाला। इस मौके पर चमत्कार देखने की लालसा में हजार की संख्या मे लोग उपस्थित थे।
जमीन से निकालने के बाद उसके शरीर में जरा सा भी हलचल नहीं था। वह जमीन के अंदर ही मर चुका था। पुलिस ने ओझा के शव को अपने कब्जे में ले लिया है।