“सीएम नीतीश कुमार के नालंदा जिले में पुलिस तंत्र के लिए बालू-दारु से अधिक काली कमाई का यदि जरिया है तो वह है फर्जी काउंटर केस। इस गंभीर ‘पुलिसिया कारोबार’ को लेकर यहां ‘अंधेर नगरी चौपट्ट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा’ वाली कहावत पूर्णतः चरितार्थ है……..”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। ताजा मामला लंबे अरसे से पुलिसिया गोरखधंधे के लिए सुर्खियां बटोर रहे राजगीर अनुमंडल के सिलाव थाना के सिलाव नगर पंचायत के सोरकोठी वार्ड संख्या- 6 का है। जहां जनसंघ, आरएसएस के वयोवृद्ध नेता सरयू प्रसाद के साथ 16 जनवरी को उनके ही पोते सम्पति विवाद में कुमार वैभव उर्फ टिक्कू द्वारा गाली गलौज और मारपीट की जाती है।
सारी घटना सीसीटीवी फुटेज में दर्ज है। सरयू प्रसाद तुरंत इसकी सूचना राजगीर डीएसपी और सिलाव थाना प्रभारी को फोन पर देते है और सिलाव थाना जाकर लिखित शिकायत दर्ज कराते हैं।
उसके बाद रात में शुरू होती है पुलिसिया कारनामा काउंटर केस का फंडा। आरोपियों की धड़पकड़ के बजाय मारपीट के आरोपी कुमार वैभव के भाई कुमार गौरव द्वारा थाने में फर्जी काउंटर केस किया जाता है।
गाली गलौज और 500 रुपये छिनने का आरोप जनसंघ नेता सरयू प्रसाद, प्रदीप कुमार, प्रताप कुमार, मोहन कुमार एवं बिट्टू कुमार पर लगाया जाता है।
सिलाव थानाध्यक्ष का काउंटर केस मैनेजमेंट इस कदर होती है कि आरएसएस नेता सरयू प्रसाद के साथ गए उनके बेटे प्रदीप कुमार और पोता मोहन कुमार को ही पुलिस हवालात में बंद कर जेल भेज देती है। जिला न्यायालय द्वारा बाद में जमानत मिल जाती है।
पूरी घटना की जानकारी देते हुए जनसंघ नेता सरयू प्रसाद के पुत्र प्रदीप कुमार ने कहा कि थानो में काउंटर केस का फंडा बंद होनी चाहिए। इसके लिए वो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मानवाधिकार आयोग के दरवाजे खटखटाएंगे।
काउंटर केस के माध्यम से न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित किया जाता है और अपराधियों को बचाने का काम किया जाता है। काउंटर केस के दबाब में गलत और सही घटना को आपस मे मैनेज कर न्याय को खरीदा और बेचा जाता है। जो प्रायः थानेदारों की काली कमाई का एक बड़ा साधन होता है।
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