इस अवसर पर भगवान मुनि सुब्रत स्वामी का 18 द्रव्यों से अभिषेक किया गया। तत्पश्चात प्रभु के अंग रचना की गई और श्रृंगार की गई। मुनि सुब्रत नाथ स्वामी का जन्म विश्व विख्यात राजगीर की पावन धरती पर हुआ था। वे यहीं के मूल निवासी थे। इनका राजगीर में एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया है, जिसे नौलखा मंदिर के नाम से लोग जानते हैं।
महोत्सव के मौके पर नौलखा मंदिर को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया संवारा गया था। इस मंदिर के दर्शन के लिए देशी-विदेशी सैलानी अक्सर आया करते हैं।
महोत्सव में मुंबई से आए कलाकारों के दल ने धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। संगीतकार दीपक भाई छेड़ा, अशोक भाई मेहता, नीलेश , प्रकाश, कोमल , सरोज छेड़ा ने एक से बढ़कर एक धार्मिक संगीत और भजन प्रस्तुत किया।
इस महोत्सव में देश की पहली महिला जैन आचार्य श्री चंदना जी महाराज , उपाध्याय साध्वी यशा जी महाराज, साध्वी शुभम जी महाराज, संवेग मुनि, श्वेतांबर जैन कोठी प्रबंध समिति के चेयरमैन सुरेश चंद कोठारी, मंत्री रंजन कुमार जैन, ट्रस्टी राज कुमार वैद्य, रणवीर कुमार जैन, वीरायतन प्रबंध समिति के सचिव तनसुख राज डागा, वीरायतन कर्मचारी संघ के महामंत्री जितेंद्र कुमार, गौरी जैन श्वेतांबर जैन धर्मशाला के सहायक प्रबंधक ज्ञानेंद्र पांडे, अकाउंटेंट संजीव कुमार जैन, वीरेंद्र कुमार जैन , पीटीजेएम कॉलेज के प्रिंसिपल ब्रह्मदेव उपाध्याय, राजगीर-तपोवन तीर्थ रक्षार्थ पंडा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष बृजनंदन उपाध्याय, राजगीर नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष बैद्यनाथ प्रसाद सिंह, अर्चना जैन समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
इस अवसर पर जैन आचार्य श्री चंदना जी ने कहा राजगीर सदियों से अहिंसा की उद्गमभूमि रही है। यह तीर्थंकर मुनि सुव्रतनाथ की जन्मभूमि और तीर्थंकर महावीर की कर्मभूमि रही है। यह अध्यात्म का प्रमुख केन्द्र है। यहां का वातावरण और जलवायु स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है। इसीलिए यहाँ सभी प्रभु आये हैं।
उन्होंने प्रभु के आदर्शों, संदेशों को जीवन में उतारने, सत्य मार्ग पर चलने , इर्ष्या, द्वेष त्याग कर परस्पर प्रेम करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा बिहार जैन धर्मावलंबियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। जीव हिंसा त्याग करने के लिए उन्होंने प्रेरित किया।