बिहार चुनाव: कोरोना के बहाने नीतीश के नेतृत्व पर सवाल!

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पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क)। बिहार में कोरोना संकट के भयावह स्थिति के बाद भी राजनीति तेजी से बदल रही है। चुनावी साल के दहलीज पर खड़े बिहार के लिए सबसे बड़ा यक्ष सवाल जनता और विपक्षी दलों में यह है कि कोरोना संकट में विधानसभा चुनाव होना चाहिए या नहीं।

चूंकि बिहार में एनडीए वर्चुअल रैली में लगी हुई है। कोरोना वायरस की चपेट में आने से भाजपा नेता और कार्यकर्ता संक्रमित है। फिर भी चुनावी बिगुल बज रहा है। एक तरफ विपक्ष और एनडीए में शामिल लोजपा ने भी चुनाव टालने की बात कहीं है।Nitish Modi corona elaction 2

लेकिन सीएम नीतीश कुमार चुनाव को लेकर काफी बेचैन हैं। उनको लग रहा है कि अगर इसी तरह कोरोना के मामले बढ़ते रहे तो अक्टूबर-नबबंर तक चुनाव नहीं हो पाएगा।

अगर ऐसा हुआ तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा और सता की गेंद भाजपा के पाले में चली जाएगी। फिर टिकट बंटबारे से लेकर चुनाव बाद की प्रेशर पाँलिटिक्स का शिकार होना पडे़गा। तभी तो जदयू और सीएम नीतीश कुमार हर हाल में चुनाव के पक्ष में है।

उधर सहयोगी लोजपा के ‘चिराग’ की लौ सीएम नीतीश कुमार तक पहुंच गई है। लोजपा के चिराग सीट बंटबारे से लेकर बिहार नेतृत्व को लेकर आक्रमक दिख रहें हैं।

Nitish Modi corona elaction 1जब चिराग ने कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर चुनाव टालने की बात कहीं तो जदयू और नीतीश कुमार को नागवार गुजरी।

तभी तो जब चिराग की शिकायत लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के पास पहुंची तो उन्होंने दो टूक जबाव दे दिया लोजपा  के सारे फैसले चिराग ही लेगे।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ लोजपा ही बिहार में नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर चुकी है। भाजपा भी कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर सवाल उठा रही है। यह दीगर बात है कि स्वास्थ्य मंत्री उनके ही दल के हैं।

भाजपा भले ही एक साल पहले कह चुकी है। बिहार में नीतीश ही एनडीए का चेहरा होगें। लेकिन राजनीति में समय इंतजार नही करता है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा को नीतीश कुमार के चेहरे पर वह यकीन नहीं रहा।

कहने को भाजपा जदयू की सहयोगी है। लेकिन भाजपा मोदी के चेहरे से निकलना नहीं चाह रही है। उन्हें लगता है कि मोदी पूरे देश में लोकप्रिय है, वही बिहार में उनका कद बौना हो जाए, यह उनकें चेहरे के लिए उचित नहीं है।

Nitish Kumarइसलिए भाजपा का एक धड़ा पार्टी नेत्तृत्व को समझाने में लगा हुआ है कि उनके चेहरे पर चुनाव लड़ना अब फायदे का सौदा नहीं है। उनके 15 साल का शासन और ऊपर से कोरोना की भयावह स्थिति। कहीं एंटी इंकैबेंसी का सामना एनडीए को करना न पड़ जाएं।

इधर भाजपा ने कोरोना की आड़ में सीएम के नेतृत्व पर हमले का एक और बहाना ढूंढ लिया है। कोरोना की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे केंद्रीय टीम के आगमन के पहले से ही भाजपा प्रचार में जुट गई है कि अब बिहार को कोरोना से पीएम नरेन्द्र मोदी बचाएगें।

 भाजपा का तर्क है कि गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली की कमान संभाली तो कोरोना के मामले में कमी आई।उसी प्रकार बिहार में केंद्रीय टीम कोरोना को कंट्रोल करेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के इस प्रचार के पीछे सीएम नीतीश कुमार पर अप्रत्यक्ष हमला कि उनसे कोरोना कंट्रोल नहीं हो रहा है। इस बहाने उनकें नेतृत्व पर सवाल खड़ा किया जा रहा है। इससे अब तक के शासन की सारी विफलता उनके सर -माथे होगीं।

Ram Vilas Paswan and Chirag Paswan 1

भाजपा यह जता रही है कि पीएम बिहार का कितना फिक्र करते हैं। इस प्रचार से भाजपा ने जदयू को दबाव में ला दिया है। कहा जा रहा है कि यह प्रेशर भाजपा को सीट बंटबारे में बहुत काम आएगा।

उधर लोजपा के चिराग भी अब बिहार में युवा चेहरे की वकालत कर रहे हैं। वे अपना अलग मुकाम बनाने में लगे हुए हैं। उनकी रणनीति है कि अपने पिता की तरह 2005 की कहानी दुहरा सकें। उनकी चाहत राजनीति का ‘किंगमेकर’ बनना है।

इसलिये वह अभी से ही ज्यादा से ज्यादा सीट चाह रहें है। उन्होंने 42 सीटों की मांग की है। साथ ही 107 विधानसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवार भी उतारना चाह रहें है।

देखा जाएं तो भाजपा और जदयू के बीच सीट बंटबारे में लोजपा के लिए 42 सीटें देना आसान नहीं होगा। लोजपा को 25-30सीट ही मिल जाएं तो उसके लिए काफी होगा। इधर चुनाव आयोग चुनाव की तैयारी में लग गई है।