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    Thursday, May 2, 2024
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      तो चलिए डीजीपी साहब, सुशासन बाबू के नालंदा से ही शुरु हो जाइए

      -: मुकेश भारतीय :-

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एक बड़ी बात कही है। उन्होंने दो टूक कहा है कि जिले के उन एसपी पर सीधी कार्रवाई करें, जो थानेदारों को ठीक से काबू नहीं कर पा रहे हैं।

      खबर है कि सीएमए ने अपराध नियंत्रण और शराबबंदी की समीक्षा के दौरान गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव और डीजीपी समेत पुलिस के आला अफसरों को कई सख्त निर्देश दिये।

      पुलिस की कार्यशैली से खफा दिख रहे सीएम ने डीजीपी को दो टूक निर्देश दिया कि थानेदारों को काबू में नहीं रख पाने वाले पुलिस अधीक्षकों पर तुरंत कार्रवाई करें।

      सीएम ने कहा कि कानून-व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए सिस्टम को निरंतर विकसित करते रहें और इसको लेकर जमीनी स्तर पर काम करते रहें। मामलों के सुपरविजन में कोई अफसर किसी को फंसाने अथवा बचाने के लिए काम करते हैं, तो उनपर भी कड़ी कार्रवाई करें।

      IPS KUMAR ASHISH
      नालंदा के पूर्व एसपी कुमार आशीष….

      वेशक सीएम नीतीश कुमार का यह निर्देश उनके गृह जिले नालंदा के लिए काफी मायने रखती है। यहां यदि सबसे बद्दतर स्थिति है तो पुलिस महकमा की ही है। आईपीएस कुमार आशीष गए तो उनकी जगह सुधीर कुमार पोरिका ने कमान संभाली। अब उनकी जगह बतौर एसपी नीलेश कुमार विराजमान हैं।

      कुमार आशीष के कार्यकाल कमोवेश ठीक ही रहा। लेकिन सुधीर कुमार पोरिका ने यहां पुलिस व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया। थानेदार मनमानी करते रहे। आमजन की हर शिकायत को थानेदारों के बचाव में रद्दी की टोकरी में डालना और थानेदारों को उल्टी कार्रवाई करवाने की ओर प्रेरित करते रहे।

      पोरिका के कार्यकाल में बालू माफिया जहां सिर चढ़कर बोलने लगे। वहीं प्रतिबंधित शराब का कारोबार होम डिलेवरी का रुप ले लिया। पकड़-धकड़ सिर्फ दिखावे के लिए होती रही। पोरिका की कप्तानी में कभी कोई बड़े शराब माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। और न उनके डीएसपी-थानेदार उसका उदभेदन ही कर सके।

      पोरिका के कार्यकाल का सबसे बड़ा काला धब्बा राजगीर वनकर्मी उत्पीड़न कांड रहे। उस जघन्य अपराध में थानाध्यक्ष, सर्किल इंसपेक्टर, डीएसपी से लेकर खुद एसपी सरेआम नंगे स्वरुप में नजर आए। लेकिन उस मामले को एक उच्चस्तरीय षडयंत्र के तहत दबा दिया गया। जबकि पीड़ित आज भी न्याय के लिए भटक रहे हैं।

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      राम मिलावल जोड़ीः नालंदा के पूर्व एसपी सुधीर कुमार पोरिका (सिवील ड्रेस) के साथ वर्तमान एसपी नीलेश कुमार…..

      पोरिका साहब के कार्यकाल में थानेदार जो कहते, वह डीएसपी सुनते और डीएसपी जो कहते, एसपी सुनते। जनप्रतिनिधियों के निकम्मेपन कहिए या उनकी शह पर आम जनता के बीच भय का माहौल कायम कर उनका उत्पीड़न, दमन, दोहन आदि आम हो गए। उन्हें थानेदार कम और दलालों की चाबी से चलने वाले वाले खिलौने अधिक पसंद थे।

      अंततः पोरिका साहब नालंदा से विदा हुए। उनकी जगह ली वर्तमान एसपी नीलेश कुमार। ये साहब करीब एक दशक पहले जिले के हिलसा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के रुप कार्य कर चुके थे। लोगों को उम्मीद थी कि ये बिखरी पुलिस व्यवस्था को कुछ हद तक जरुर समेटेंगे।

      लेकिन लोगों की एक बार फिर उम्मीद टूटती नजर आई। इनके कार्यकाल के शुरुआती दौर से ही पहले करेला तो अब नीम वाली कहावत चरितार्थ हो गई। इनके कार्यकाल पोरिका साहब ने कोर कसर छोड़ी थी, वह पूरी होती जा रही है। हत्या, लूट, छिनतई, फसाद जैसी घटनाएं रिकार्ड पर पहुंच गई है। उधर, हर वारदात-शिकायत पर ये एसपी साहेब सिर्फ संसाधनों का रोना रोते हैं, मानों इनके पदास्थापना के साथ ही सारे इन्फ्रास्टक्चर जप्त कर लिए गए हों।

      वर्तमान एसपी नीलेश कुमार को लेकर शासित वर्ग में आम धारणा बन गई है कि ये किसी की सुनते-समझते कम और सिर्फ बोलते हैं। मीडिया को लेकर भी ये काफी पूर्वग्रह से प्रेरित हैं। इनके थानेदार फर्जी मामले दर्ज करने और सही घटनाओं को भी घुमा-फिरा के रफा-दफा करने में माहिर हैं। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं।

      वर्तमान एसपी के कार्यकाल में एक नई बात यह सामने आई है कि ये जिले के तीनों डीएसपी की सिर्फ सुनते हैं, जो थानेदारों से सिर्फ मनमानी कराते हैं। दारु-बालू का अनियंत्रित अवैध कारोबार चरम पर है। दिखावे के लिए कार्रवाई की जाती है। बालू लदे वाहनों को पकड़ा जाता है, लेकिन दारु की तरह उसके कारोबारियों को खुली छूट दे दी जाती है।

      बहरहाल, हमेशा कड़क आईपीएस के रुप में शुमार रहे डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय साहब को चाहिए कि वे सीएम के निर्देश के आलोक में नालंदा जिले का सर्वेक्षण कर यहीं से अपनी कार्रवाई की शुरुआत करें। जहां की जनता कभी उन्हें बतौर एसपी के रुप में अपनी पलकों पर बैठाया था, जो आज भय और आतंक के माहौल में जी रहा है।           

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