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    Wednesday, May 1, 2024
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      इंदिरा आवास में रहने वाली मनरेगा मजदूर की बेटी बनी आईएएस

      आशा है कि श्रीधन्या सुरेश जैसी प्रतिभाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए सभी बाधाओं को दूर करने में एक प्रेरणा का काम करेगी…”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। यूपीएससी  ने साल 2020 में होने वाली प्रीलिमनरी परीक्षा के लिए फॉर्म जारी कर दिया है। इस परीक्षा में प्रतिवर्ष आईएएस और आईपीएस बनने के लिए लाखों लोग शामिल होते हैं।

      लेकिन, कुछ लोगों को ही अपने सपने को साकार करने का आवसर मिलता है। हम आपको एक ऐसी ही एक सफल युवती की कहानी के संबंध में बतायेंगे जिसने कम संसाधन के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त किया है।

      वर्ष साल 2019 में जब यूपीएससी परीक्षा का रिजल्ट आया तो कई ऐसे चेहरे सामने आये थे जो कि कम संसाधनों के बाद भी इस परीक्षा में सफलता प्राप्त किया था। इनमें एक नाम था श्रीधन्या सुरेश का, जो केरल के वायनाड जिले की रहने वाली हैं। 2018 में हुई यूपीएससी की परीक्षा में उन्होंने 410वीं रैंक हासिल की थी।SRIDANYA SURESH1

      श्रीधन्या सुरेश केरल की पहली आदिवासी लड़की है, जिन्होंने यह परीक्षा पास की है। उनके पिता मनरेगा में मजदूरी करते थे और बाकी समय धनुष-तीर बेचने का काम किया करते हैं।

      उसकी आर्थिक स्थिति का हालात इससे ही लगाया जा सकता है कि वह जमीन नहीं रहने के कारण सरकार से मिले इन्दिरा आवास में रह रही है। जब श्रीधन्या यूपीएसई की तैयारी कर रही थीं तो आधे- अधूरे बने घर में अपने माता-पिता, और दो भाई-बहनों के साथ रहती थीं।

      उनके माता-पिता गरीब थे, लेकिन पैसों की कमी कभी को पढ़ाई के बीच में नहीं आने दिया। श्रीधन्या ने कोझीकोड के सेंट जोसफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली, उसके बाद ही उसी कॉलेज से जूलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

      पढ़ाई पूरी होने के बाद वह अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के पद पर काम करने लगी।इसके बाद उन्होंने वायनाड के एक आदिवासी हॉस्टल में वार्डन के तौर पर काम किया।

      यहीं पर ही उन्हें यूपीएससी परीक्षा देने के लिए मोटिवेट किय गया। यूपीएससी परीक्षा में तीसरे प्रयास में उनका सिलेक्शन इंटरव्यू के लिए हुआ था।

      उस समय श्रीधन्या के पास दिल्ली आने के लिए पैसे भी नहीं थे, लेकिन दोस्तों से मिलकर उन्होंने पैसे जमा किए और दिल्ली आकर इंटरव्यू दिया।

      श्रीधन्या ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘मैं राज्य के सबसे पिछड़े जिले से हूं। यहां से कोई आदिवासी आईएएस अधिकारी नहीं हैं, जबकि यहां पर बहुत बड़ी जनजातीय आबादी है’।

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