“विश्व भर में फैले कोरोना महामारी को दूर करने को लेकर एक ओर जहां पूरी दुनिया आधुनिक विज्ञान का सहारा ले रही है। वहीं झारखंड के जमशेदपुर में औघड़ और नागा साधुओं ने खतरनाक कोरोना के संक्रमण से पूरी दुनिया को मुख्त कराने को लेकर हठ योग शुरू कर दिया है। साधुओं के अनुसार शास्त्रों में इस तरह के महामारी को दूर करने के लिए वातावरण को शुद्धा करने का उपाय बताया गया है…
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। जमशेदपुर के सोनारी स्थित भूत नाथ मंदिर प्रांगण में कुछ औधड़ साधुओं द्वारा हठ योग शुरू किया गया है। कठोर तप के माध्यम से ये साधु वातावरण में फैले विकार को दूर करने को लेकर तप कर रहे हैं।
इनका मानना है कि ऐसा करने से वैश्विक संकट के इस काल में जरूर राहत मिलेगी। शास्त्रों में इस योग का वर्णन किया गया है। जहां कठोर तप कर रहे सनातन धर्म के शास्त्रों में ऐसे कई प्रकार के जीवाणुओं का वर्णन किया गया जो वातावरण दूषित होने के कारण जन्म लेती और धीरे धीरे ये महामारी का रूप धारण करती है।
तपस्वी साधु बताते हैं कि कोरोना महामारी भी इसी कारण से फैला है और वातावरण सुद्ध होने से ही ये महामारी दूर हो सकती है। इस कारण से तप एवम हवन किया जा रहा है, ताकि हवन से निकले धुएं से वातावरण शुद्ध हो सके।
हालांकि एक तरफ पूरी दुनियां इस महामारी पर काबू पाने के लिए टीके और दवाओं के निर्माण में जुटी है। और दूसरी तरफ साधु अपने स्तर से वातावरण को शुद्ध करने के प्रयास में जुटे हैं, जिससे कि महामारी पर काबू पाया जा सके।
कहा जाता है कि भारत आदिकाल से ही तप- योग और साधना का देश रहा है। जहां ऐसे महामारी के दौर में तप- त्याग और साधना से वियज प्राप्त होने के अनेकों उदाहरण इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।
बहरहाल आने वाला वक्त ही बताएगा कि इन साधुओं के इस तप से देश के साथ झारखंड और लौहनगरी जमशेदपुर को कितना लाभ मिलेगा। फिलहाल शहर में इन साधुओं के हठ योग की चर्चा जोरों पर है।
वैसे जमशेदपुर के सोनारी भूतनाथ मंदिर में औघड़ साधुओं द्वारा हर साल चार महीने तक हथयोग किया जाता है। इस दौरान इनके द्वारा कठोर तप और साधना की जाती है। बसंत पंचमी से लेकर गंगा दशहरा यहां के औघड़ कठोर साधना करते हैं
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