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गुमनाम नायकों का जिक्र कर वोटों का गणित साध रही है भाजपा ?

दरअसल भाजपा अकसर इतिहास लेखन में वामपंथी नैरेटिव हावी होने की बात करती रही है। वह ऐसे नायकों का अकसर जिक्र करती है, जो भले ही इतिहास की पुस्तकों में मौजूद नहीं हैं, लेकिन लोककथाओं का हिस्सा हैं और उन्हें लेकर लोग जातीय गौरव का भाव रखते हैं

इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। केंद्र की एनडीए की मोदी सरकार ने 15 नवंबर को आदिवासी नायक बिरसा मुंडा की जयंती को एक तरफ जनजातीय गौरव दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया है।

वहीं इसी दिन भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का भी उद्घाटन होना है। इस रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्वरूप दिया गया है और इसका नया नाम अब कमलापति रानी पर होगा।

यही नहीं अगले ही दिन 16 नवंबर यानी मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का लोकार्पण करने के लिए यूपी जाने वाले हैं। इस दौरान वह आजमगढ़ स्थित मेडिकल कॉलेज का भी उद्घाटन करेंगे, जिसका नाम राजभर बिरादरी के राजा रहे सुहेलदेव पर रखा गया है।

इससे पहले यूपी के ही अलीगढ़ में जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी का ऐलान और असम में अहोम योद्धा लाचित बड़फुकन का जिक्र भी पीएम नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। इन सभी नायकों के नाम इतिहास की पुस्तकों में विरले ही मिलते हैं।

एक तरफ मुंडा जनजाति के लोग बिरसा मुंडा को देवता मानते रहे हैं तो जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह आजादी के नायक होने के साथ ही जातीय गौरव के भी प्रतीक रहे हैं।

इसी तरह पूर्वांचल में राजभर समाज सुहेलदेव राजभर को अपने नायक के तौर पर देखता रहा है। सुहेलदेव के नाम पर दिल्ली से गाजीपुर के बीच ट्रेन पहले ही सरकार शुरू कर चुकी है।

ऐसे में अब मेडिकल कॉलेज भी उनके नाम पर बनाकर केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वे राजभर समाज के नायक का सम्मान करते हैं और इतिहास में उन्हें सम्मान न मिलने की भरपाई अपने तरीके से कर रहे हैं।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह की इतिहासकारों की ओर से उपेक्षा का जिक्र भी पिछले दिनों अलीगढ़ में पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इसके जरिए वे जाट बिरादरी, राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को एक साथ साधने की कोशिश कर रहे थे।

बिरसा मुंडा का इतिहास आदिवासियों के धर्मांतरण के खिलाफ बोलने का रहा है। इसके अलावा रानी कमलापति ने आलम शाह को मारकर पति की हत्या का बदला लिया था।

सुहेलदेव का जिक्र कर भाजपा राजभर समुदाय को अपने पाला में लाना चाहती है, जिसके नेता ओपी राजभर इन दिनों सपा के पाले में हैं। ऐसे में भाजपा सुहेलदेव राजभर का जिक्र कर इस झटके की भरपाई करने की प्लानिंग में दिखती है।

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