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    Saturday, November 23, 2024
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      काश वुनियादी सुविधाओं से महरुम नालंदा के इस गांव में एक स्कूल होता !

      ” तीन वर्षों से यह स्कूल बगल के गांव अमीरगंज में करकट के एक छोटे से कमरे में चलता है। इसी कमरे में ट्रंक, बर्तन, जलावन की लकड़ी, टेबल, कुर्सी आदि है, जिसमें बच्चे पढ़ते और पांच शिक्षक पढाते हैं । स्कूल का मीड-डे-मील सालों खुले आसमान के नीचे पकाया जाता है। जाड़ा, गर्मी और वर्षात के मौसम में भी बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पोषाहार खाने के लिए मजबूर हैं ।”

      MIYAPUR 1 नालंदा ( राम विलास )। काश मेरे गांव में भी होता स्कूल का अपना भवन, गाँव तक पहुँचने के लिए पक्की सड़क, इवादत के लिए मस्जिद, गलियों में पीसीसी और पीने के लिए शुद्ध पानी । यह पीड़ा है राजस्व ग्राम मियांबिगहा के मो अनिस, मो नसर, कृष्णा यादव और मोहम्मद तौफीक की।

      छबीलापुर थाना क्षेत्र में एक गांव मियांबिगहा है । यह राजगीर प्रखंड के बरनौसा पंचायत में है । अति पिछड़ा और महादलित की यह बस्ती समस्याओं के दलदल में फंसा है।

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      आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव के स्कूल को अपना भवन नहीं है। मुस्लिम बहुल इस गांव में इवादत के लिए मस्जिद भी नहीं है। ग्रामीण मदरसा में नमाज अदा करने के लिए मजबूर हैं । इस गांव में पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं पगडंडी है ।

      इस गांव में करीब 35 साल से एक प्राथमिक स्कूल है। इस स्कूल में पाँच शिक्षक पदस्थापित हैं । लेकिन स्कूल को अपना भवन नहीं है। पहले यह स्कूल पेड़ के नीचे चलता था। फिर कभी झोपड़ी तो कभी कृष्णा यादव के दलान में स्कूल का संचालन होते रहा।

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      फिलहाल तीन वर्षों से यह स्कूल बगल के गांव अमीरगंज में करकट के एक छोटे से कमरे में चलता है। इसी कमरे में ट्रंक, बर्तन, जलावन की लकड़ी, टेबल, कुर्सी आदि है, जिसमें बच्चे पढ़ते और पांच शिक्षक पढाते हैं । स्कूल का मीड-डे-मील सालों खुले आसमान के नीचे पकाया जाता है ।

      जाड़ा, गर्मी और वर्षात के मौसम में भी बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पोषाहार खाने के लिए मजबूर हैं । स्कूल में इन्दु कुमारी सुमन, संजीव कुमार, रेशमा कुमारी, सनद परवीण और संयुक्ता कुमारी टीचर हैं ।

      मियाँविगहा बरनौसा पंचायत में है और स्कूल लोदीपुर पंचायत के अमीरगंज में चलता है । उन्होंने बताया कि प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी के आदेश से अमीरगंज में स्कूल का संचालन किया जाता है । मो अनिस और मो तौफीक की माने तो गांव में स्कूल की अपनी जमीन है । उस जमीन पर एक झोपड़ी है । फिलहाल इस परीत जमीन पर ग्रामीण मवेशी बाँधते हैं ।MIYAPUR

      करीब 100 घर के इस गांव में मुसहर, चमार, वक्खो, शाह ( फकीर ), राईन ( कुन्जड़ा ), कोरैसी ( कसाव), साई, अंसारी, यादव जाति के लोग रहते हैं । इस गांव में पानी पीने के लिए केवल पांच सरकारी चापाकल है, जिसमें दो खराब है ।

      इस बस्ती में पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है । गाँव की गलियों में पीसीसी की बात तो दूर ईट सोलिंग तक नहीं हो सका है। अपने गांव की दुर्दशा से आहत मोहम्मद तौफीक और कृष्णा यादव कहते हैं कि गलियों की हालत बहुत खराब है । पैदल चलना भी मुश्किल है ।

      प्रखंड और जिले के बड़े-बड़े अधिकारी अमीरगंज और मौलनाडीह तक आते हैं। लेकिन बगल के उनके गांव मियाँविगहा में दुख दर्द को समझने के लिए नहीं पहुंच पाते हैं ।

      अधिकारी बोले……

      मियांबिगहा में जमीन के अभाव के कारण अबतक स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो सका है। निकट के स्कूल में सामंजन के लिए उच्चाधिकारी का आदेश प्राप्त हुआ था। उसी आदेश के आलोक में प्राथमिक विद्यालय मियां विगहा का संचालन अमीरगंज में कराया जा रहा है। पंचायत के मुखिया ने विद्यालय भवन निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। जमीन उपलब्ध होने के बाद भवन का निर्माण हो सकेगा ।  ……………..रघुनंदन चौधरी , बीईओ, राजगीर

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