“सबसे बड़ी बात कि राम बिलास पासवान के सगे भाई पशुपति नाथ पारस न तो विधान सभा के सदस्य हैं और न हीं विधान परिषद के। ऐसे में मंत्रिमंडल में शामिल करना किस नैतिकता को परिभाषित करता है यह समझ से परे है।”
पटना (मुकेश भारतीय)। बिहार में पिछले 4 सालों के दौरान कभी इस नाव तो कभी उस नाव के सहारे छठी बार सीएम बने नीतिश कुमार ने परिवारवाद का नया आयाम गढ़ा है।
बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के कड़े आरोपों पर सीएम नीतिश कुमार ने साफगोई दी थी कि उनकी प्रतिबद्धता राज्य की जनता के प्रति है, उसी का जनादेश मिला है। वे किसी परिवारवाद की सेवा के लिये नहीं हैं।
लेकिन उन्होंने लोजपा नेता राम बिलास पासवान को जिस तरह से अपनी कैबिनेट में जगह दी है, उनके सोच की परतें यूं ही उधेड़ जाती है। राम बिलास पासवान केन्द्रीय मंत्री हैं। उनका पुत्र सांसद है और अब बचाखुचा भाई नीतिश कैबिनेट में शामिल।
सबसे बड़ी बात कि राम बिलास पासवान के सगे भाई पशुपति नाथ पारस न तो विधान सभा के सदस्य हैं और न हीं विधान परिषद के। ऐसे में मंत्रिमंडल में शामिल करना किस नैतिकता को परिभाषित करता है यह समझ से परे है।
इसी मुद्दे को लेकर हम पार्टी के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम राम मांझी और एनडीए की केंद्र सरकार में मंत्री व रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा बगावती मूड में हैं। वे दोनों राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के संपर्क में हैं।
संभावना व्यक्त की जा रही है कि कि वे दोनों एनडीए का साथ छोड़ राजद के साथ गठबंधन कर सकते हैं। उनके साथ जदयू के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद शरद यादव को भी राजद में आने में शामिल हो सकते हैं।