खेल-कूददेश

नई प्रतिभाओं को तलाश और तराश रही है भारत की खेल नीति : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली (इंडिया न्यूज रिपोर्टर)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में 44वें शतरंज ओलंपियाड के लिए ऐतिहासिक मशाल रिले का शुभारंभ किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार खेलों को लेकर दूरदर्शिता की नीति अपना रही है और नई प्रतिभाओं को तलाश और तराश रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। देश के युवाओं में साहस, समर्पण और सामर्थ्य की कमी नहीं है। पहले हमारे इन युवाओं को सही प्लेटफ़ार्म के लिए इंतज़ार करना पड़ता था। आज ‘खेलो इंडिया’ अभियान के तहत देश इन प्रतिभाओं को खुद तलाश भी रहा है, तराश भी रहा है।

प्रधानमंत्री ने सरकार की खेल नीति को शतरंज से जोड़ा। उन्होंने कहा कि शतरंज में शॉर्ट टर्म सक्सेस के बजाय दूर की सोच रखने वालों को ही असली कामयाबी मिलती है। भारत की खेल नीति के तहत आने वाली टॉपस यानी टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम और खेलो इंडिया जैसी योजनाएं इसी सोच के साथ काम कर रही हैं। इसके नतीजे भी हम लगातार देख रहे हैं।

शतरंज की एक और खूबी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके हर मोहरे की अपनी खास क्षमता होती है। चेसबोर्ड की यह खासियत हमें जीवन का बड़ा संदेश देती है। सही सपोर्ट और सही माहौल दिया जाए तो कमजोर से कमजोर के लिए भी कोई लक्ष्य असंभव नहीं होता।

प्रधानमंत्री ने शतरंज के भारतीय कनेक्शन का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विश्लेषण और समस्या समाधान मस्तिष्क के लिए हमारे पूर्वजों ने चतुरंग या शतरंज जैसे खेलों का आविष्कार किया। भारत से होते हुए शतरंज दुनिया के अनेक देशों तक पहुंचा और खूब लोकप्रिय हुआ।

इस वर्ष, पहली बार, शतरंज की अंतरराष्ट्रीय निकाय, फिडे, ने शतरंज ओलंपियाड मशाल की शुरुआत की है जो कि ओलंपिक परंपरा का हिस्सा है और जिसे शतरंज ओलंपियाड में अबतक कभी शामिल नहीं किया गया था। भारत शतरंज ओलंपियाड मशाल रिले की शुरुआत करने वाला पहला देश बनेगा।

44वां शतरंज ओलंपियाड 28 जुलाई से लेकर 10 अगस्त 2022 के दौरान चेन्नई में आयोजित किया जाएगा। 1927 से आयोजित की जा रही इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता का आयोजन पहली बार भारत में और 30 साल बाद एशिया में किया जा रहा है। 189 देशों की भागीदारी के साथ, यह किसी भी शतरंज ओलंपियाड में अबतक की सबसे बड़ी भागीदारी होगी।

उल्लेखनीय है कि शतरंज के साथ भारत के रिश्ते को और नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से, शतरंज ओलंपियाड के लिए मशाल रिले की यह परंपरा अब हमेशा भारत से शुरू होगी और मेजबान देश तक पहुंचने से पहले सभी महाद्वीपों से होकर गुजरेगी।

फिडे के अध्यक्ष अर्कडी ड्वोरकोविच इस मशाल को प्रधानमंत्री को सौंपेंगे, जिसे प्रधानमंत्री आगे ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद को सौंपेंगे। इस मशाल को अंतिम रूप से चेन्नई के निकट महाबलीपुरम पहुंचने से पहले 40 दिनों की अवधि के दौरान 75 शहरों में ले जाया जाएगा। हर स्थान पर उस प्रदेश के शतरंज के ग्रैंडमास्टर इस मशाल को प्राप्त करेंगे।

Related Articles

Back to top button
Ashoka Pillar of Vaishali, A symbol of Bihar’s glory Hot pose of actress Kangana Ranaut The beautiful historical Golghar of Patna These 5 science museums must be shown to children once