रांची (मुकेश भारतीय)। राजधानी से सटे ओरमांझी प्रखंड के चुट्टुपालू क्षेत्र में अवैध खादानों एवं उसमें खनन प्रक्रिया के अवैध तरीकों को लेकर पत्थर माफियाओं और ग्रामीणों के बीच चला आ रहा संघर्ष कभी भी खूनी रुप ले सकता है।
पिछले दिन गुरगाई गांव स्थित एक पत्थर खादान संचालक गिरोह और ग्रामीणों के बीच झड़प हो गई। इस झड़प के बाद संचालक सुधाकर राव ने ओरमांझी थाना में महेश साहु, बालेश्वर मुंडा, शंकर मुंडा, श्रवण मुंडा, विजय मुंडा, नंदु सिंह, चन्द्रदेव मुंडा आदि ग्रामीणों के खिलाफ दस लाख रुपये रंगदारी मांगने एवं वाहन का शीशा तोड़ डालने का आरोप लगाते हुय़े एफआईआर दर्ज कर दी।
इसकी सूचना मिलते ही सैकड़ों ग्रामीण, जिनमें महिलाएं अधिक थी, दूसरे दिन थाना का घेराव किया और प्रथमिकी का विरोध करते हुये घटना की अलग जानकारी दी।
ग्रामीणों का कहना था कि सुधाकर राव अपने पत्थर उत्खनन में अवैध वैगन ड्रील का इस्तेमाल करता है और उसके भारी विष्फोट से कई लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हो गये हैं। इसका विरोध करने पर खादान संचालक ने अपने गुर्गों के साथ मिल कर मारपीट की और गांव के युवकों को ही रंगदारी के केस में फंसा दिया। ओरमांझी थाना पुलिस भी बिना कोई जांच किये खान माफियाओं के साथ खड़ी हो गई।
ग्रामीणों के थाना परिसर में मीडिया की उपस्थिति में जोरदार विरोध के मद्देनजर अंततः झुकना पड़ा। ग्रामीणों की ओर से खादान संचालक सुधाकर राव, उसके पिता एवं महालक्ष्मी फाईवर लिमिटेड के प्रबंधक ओमप्रकाश राव, भाई प्रभाकर राव, भोला महतो, जगरनाथ महतो, रवि साहु, प्रकाश साहु, भानु साहु, पप्पु खान आदि लोगों के खिलाफ मारपीट करने एवं जान से मारने की धमकी का केस दर्ज कराया गया।
दरअसल, गुगराई जैसे कई भारी आबादी वाले गांवों के आसपास पत्थर उत्खनन के दौरान वैगन ड्रील कर विस्फोट किया जाता है। वैध खादानों में अधिकतम 10-12 फीट से नीचे ड्रील करने की अनुमति है। लेकिन यहां वैध हो या अवैध 30-35 फीट नीचे तक ड्रील कर भारी विस्फोट कराया जाता है। इससे गांव के मकान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। आम आदमी सहित घरेलु पशुओं को चोटें लगती रहती है।
गुरगाई गांव की ही बात की जाये तो यहां के लोगों ने उपायुक्त, आरक्षी अधीक्षक, खनन विभाग से लेकर विभागी मंत्री तक समस्या की शिकायत कर चुके हैं। और जब कहीं से कोई सुनवाई नहीं सकी तो विवश होकर ग्रामीणों ने खुद मोर्चा खोल लिया है। खननकों के खिलाफ कई गांव के लोग लामबंद नजर आ रहे हैं। इधर, खनन माफियाओं ने भी ग्रामीणों को अपने पैसे और रुतवे के बल ग्रामीणों की हर आवाज दबाने की फिराक में हैं।