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    Tuesday, May 7, 2024
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      देखिए वीडियोः पुलिस की प्रतिष्ठा कैसे मिट्टी में मिला दी इस शराबी एएसआई ने

      “ये महाशय अनिल यादव हैं। मूल रूप से बिहार के गया जिले के रहनेवाले अनिल यादव सरायकेला-खरसावां जिले के आरआईटी थाने में पदस्थापित है और बीती रात आरआईटी थाना अंतर्गत मार्ग संख्या 16 में एक शादी समारोह में बिन बुलाए पहुंच गए और लगे हंगामा खड़ा करने…..”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (संतोष कुमार)। सरायकेला-खरसावां जिले में अपराधी के साथ पुलिस भी पूरू तरह से बेलगाम हो चुकी है। कोई थाना प्रभारी अपनी मौजूदगी में थाने में नाबालिग की शादी कराता है तो कोई पुलिस अधिकारी बगैर बुलाए किसी पार्टी में पहुंचकर हो हंगामा करता है।

      पार्टी में मौजूद महिलाओं और अतिथियों के साथ बदसलूकी करता है और उनके साथ हाथापाई तक कर डालता है। हद तो ये है कि अधिकारी खुलेआम कहता है कि मैंने शराब पी थी और ये वह सब भी स्वीकार करने को तैयार है।

      उनकी दलील ये थी कि किसी ने 100 नंबर पर शिकायत दर्ज कराई थी  कि उक्त समारोह में तेज आवाज में डीजे बज रहा है। जबकि पीड़ित परिवार के अनुसार जिस वक्त वे समारोह स्थल पर पहुंचे, उस वक्त कार्यक्रम लगभग समाप्ति पर था और म्यूजिक सिस्टम समेटा जा रहा था।

      पीड़ित परिवार के अनुसार जब एएसआई उनके यहां पहुंचे तो परिवार के सदस्यों के अलावा कुछेक मेहमान मौजूद थे, लेकिन उन्होंने इतनी शराब पी रखी थी कि अपने आगे किसी की भी नहीं सुन रहे थे।

      कार्यक्रम में मौजूद एक पारिवारिक सदस्य पारा मिलीट्री का जवान भी मौजूद था, जिसने जब अपना परिचय दिया तो एसएसआई अनिल यादव ने कहा कि वे अभी वर्दी में हैं, उनसे बड़ा कोई नहीं।

      हद तो ये हुई कि जिस परिवार में शादी समारोह था यानि दूल्हे का पिता वे झारखंड पुलिस के सेवानिवृत सब इंस्पेक्टर रह चुके हैं।उन्होंने भी काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन एएसआई शराब के नशे में सारी मर्यादाओं को तार- तार करता रहा।

      वहीं पीड़ित परिवार द्वारा देर रात जिसे के एसपी को फोन पर सारी घटना की जानकारी दी गई, जिसके बाद एसपी ने आदित्यपुर थाना प्रभारी को मौके पर भेजा।

      पीड़ित परिवार बताते हैं  कि एएसआई अनिल यादव इतना अधिक नशे में थे  कि उन्हें गाड़ी में खुद आदित्यपुर थाना प्रभारी ने बिठाया। पीड़ित परिवार ने जिला पुलिस कप्तान से लिखित शिकायत की है।

      वहीं जिला पुलिस कप्तान ने डीएसपी हेडक्वार्टर को मामले की तफ्तीश करने का जिम्मा सौंप दिया है।

      वैसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सरायकेला-खरसावां पुलिस इतनी संवेदनशील क्यों है? क्या जिले के एसपी का उनपर कोई खौफ नहीं? क्या पुलिस मैन्युअल किसी निजी समारोह में इस हरकत की अनुमति देती है?

      वैसे जिला पुलिस कप्तान चाहे जो कहें, लेकिन जिले में कानून व्यवस्था पिछले तीन- चार महीनों में ध्वस्त हो चुकी है। आपराधिक आंकड़ों की अगर हम बात करें तो हत्या औऱ लूट की वारदातों में बढ़ोत्तरी हुई है।

       

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