“सरकार ने महिलाओं व युवतियों के साथ होने वाले अत्याचारों-अपराधों की त्वरित कार्रवाई के लिए विशेष महिला थाना का गठन कर रखा है, लेकिन यहां भी पैरवी-पहुंच-पैसा के सामने पुलिस बौनी साबित अधिक दिखती है..”
रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। रांची जिले के मांडर थाना के मुड़मा की नाबालिग आयशा (काल्पनिक नाम) ने यौन शोषण करने एवं नंगी तस्वीरें उसकी ही आईडी से बारंबार फेसबुक पर वायरल करने व उसके परिवार को तरह-तरह से परेशान शिकायत की।
उस शिकायत के आधार पर भादवि की धारा -376,509, 4/6 पोस्को एक्ट एवं 67/67(ए) आइटी एक्ट के तहत रांची महिला कांड संख्या-42/18 दर्ज की गई।
दर्ज कांड के अनुसार नाबालिग पीड़िता की दोस्ती फेसबुक के जरिए हजारीबाग जिले केरीडारी थाना के पांडु निवासी इलियास अंसारी के पुत्र दनिश अंसारी से हुई। फिर दोनों मैसेंजर में चैट करने लगे। फिर दोनों में फोन पर बात बातें होने लगी। फिर युवक युवती से मिलने की जिद करने लगा।
इसके बाद दोनों काठीटांड़ के एक रेस्टुरेंट में अक्सर मिलने लगे। इसी बीच एक दिन युवक ने युवती को टुपुदाना बायो डावर्सिटी पार्क और वहां युवती के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाया और नंगी तस्वीरें खींच ली।
इसके बाद युवक नाबालिग युवती से गंदी-गंदी गालियों देते हुए काफी बदतमीजी से बात करने लगा और उसका फोन न उठाने पर युवती के परिवार वालों को नंगी तस्वीरें भेजने लगा।
युवक ने युवती का फोन भी छीन रखा है और युवती की फेसबुक आईडी ( https://www.facebook.com/aisha.arzoo.33 ) से ही नंगी तस्वीरे वायरल करता आ रहा है। उस पर भद्दे-भद्दे कमेंट जारी है। जबकि बदमाश युवक की फेसबुक आईडी है- https://www.facebook.com/profile.php?id=100017114052252
बहरहाल, ऐसे गंभीर मामले में पुलिस ने अगर कार्रवाई अगर की है तो सिर्फ इतनी कि पीड़िता को ही थाने में बुलाकर कई बार पूछताछ की है, वह भी तब, जब वह न्याय की गुहार लगाती है।
जबकि चिन्हित बदमाश युवक के खिलाफ कोई सुध नहीं ली है। उसे बदमाशी कर युवती और उसके परिवार को परेशान करने के लिए खुला छोड़ रखा है। अब इसके पीछे क्या रसूख, पैरवी या नजराने का कमाल है, यह पुलिस ही बेहतर बता सकती है।
पुलिस एफआईआर दर्ज होने के 21 दिन बाद भी पीड़िता युवती के उस फेसबुक आईडी को ब्लॉक तक नहीं सकी है। इस गंभीर मामले में पुलिस कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा उसके जिम्मेवार अफसरों से बात करने पर साफ स्पष्ट होती है।
इस मामले में थानाध्यक्ष दीपिका कुमारी का कहना है कि मामला दर्ज करने के बाद नामकुम थानाध्यक्ष को सौंप दिया गया है। अगर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है तो पीड़िता को भेजें, वे त्वरित कार्रवाई करेगें। इस महिला थानाध्यक्ष से पीड़िता तीसरी बार मिली, लेकिन कार्रवाई का सिर्फ आश्वासन ही देकर विदा कर गई।
उधर, एफआईआर के 21 दिन बाद नामकुम थानाध्यक्ष का कहना है कि मामला पूरी तरह से उनके संज्ञान में नहीं है। पीड़िता को परिवार वालों को उनसे संपर्क करनी चाहिए। ऐसे महिला थाना को भी अपने स्तर से कार्रवाई करनी चाहिए।