“पत्थलगड़ी समर्थकों की मांग है कि सरकार का कोई अफसर या फिर नेता आकर उनसे बात करें तभी तीनों जवानों को छोड़ा जाएगा। अगवा किए गए जवानों में सुबोध कुजूर, विनोद केरकेट्टा और सुयोन सुरीन शामिल हैं। जबकि एक जवान पत्थलगड़ी समर्थकों के खुद को बचाकर भाग निकला।”
रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड के खूंटी में पत्थलगड़ी समर्थकों ने आज दोपहर बाद स्थानीय सांसद करिया मुंडा के आवास के बाहर से उनके तीन बॉडीगार्ड को बंधक बना लिया है। उन्हें ग्रामसभा में ले गए और बंधक बनाकर रख लिया।
पत्थलगड़ी समर्थकों का कहना है कि सरकार यहां आए, उसके बाद ही बॉडीगार्ड को छोड़ा जाएगा। दरअसल, ग्रामीण घाघरा, मंदरुडीह, हुदाडीह और मतगड़ा में पत्थलगड़ी कर रहे थे। पुलिस यहां पहुंची तो पत्थलगड़ी समर्थकों ने उन्हें खदेड़ दिया।
बाद में पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज कर दिया और जमकर पीटा। इसी से नाराज पत्थलगड़ी समर्थकों ने बॉडीगार्ड को अगवा कर लिया।
पत्थलगड़ी रोकने पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों को पत्थर लगाने से मना किया, जिसके बाद उन्होंने पुलिस को खदेड़ना शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दिया।
इस दौरान पुलिस और पत्थलगड़ी समर्थकों के बीच झड़प भी हुई, जिसमें दोनों ओर से दर्जनों लोग घायल हो गए। पुलिस की इस कार्रवाई से आक्रोशित पत्थलगड़ी समर्थक सांसद करिया मुंडा के आवास के बाहर बने खपड़ैल मकान में जा घुसे और तीन जवानों को बंधक बनाकर अपने साथ ले गए।
इस दौरान पत्थलगड़ी समर्थक तीनों जवानों के इंसास राइफल भी अपने साथ ले गए।
पत्थलगड़ी समर्थकों ने तीनों जवानों को लेकर ग्रामसभा बैठाई है। ग्रामसभा में तीनों जवानों को बंधक बनाकर रखा गया है।
पत्थलगड़ी आदिवासी समाज की परंपरा है, जिसके जरिए गांव का सीमांकन किया जाता है, लेकिन अब इसी की आड़ में गांव के बाहर अवैध ढंग से पत्थलगड़ी की जा रही है।
पत्थर पर ग्राम सभा का अधिकार दिलाने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेदों (आर्टिकल) की गलत व्याख्या करते हुए ग्रामीणों को आंदोलन के लिए उकसाया जा रहा है।