“ इस वर्ष जिस तरह से राजगीर मलमास मेला की प्रशासनिक तैयारियां युद्ध स्तर पर हो रही है, वे काफी आश्चर्यजनक प्रतीत हैं। अनेक जगहों पर लापरवाही-उदासीनता साफ नजर आती है।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार के नालंदा ज़िले में स्थित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र राजगीर की पहचान मेलों के नगर के रूप में भी है। इनमें मकर और मलमास मेले प्रसिद्ध हैं। मलमास मेला को राजकीय मेला का दर्जा मिल गया है।
राजगीर के 22 कुंडो में प्रमुख दुखहरणी कुंड की कृत्रिम निर्माण का जायजा लीजिये।
श्रद्धालु गण इसी कुंड में मलमास मेला के दौरान स्नान कर पुण्य प्राप्त करेंगे। यह ख़ुदाई भी गलत जगह हुई है।
इसका निर्माण मूल मंदिर के पूरब दिशा की बजाय पश्चिम तरफ किया गया है। इस संकरे कुंड में श्रद्धालु कैसे और कितनी संख्या में डूबकी लगा पुण्य प्राप्त करेगें, खुद में एक बड़ा सबाल है।
उधर राजगीर मलमास मेला में तीर्थयात्री व श्रद्धालुओं के लिये वैतरणी नदी घाट की उड़ाही की गई है। इसी नदी में गाय की पूँछ पकड़ कर भवसागर पार करने की परंपरा है।
लेकिन प्रशासन द्वारा बनाये गये इस फौरिक नदी में स्नान करने के लिए उतरना और स्नान बाद नदी से निकलने में तीर्थ यात्रियों को कितनी परेशानी होगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
यह घाट श्रद्धालुओं की भीड़ स्नान के समय हादसे को निमंत्रित करते साफ प्रतीत होती है।
इस वैतरणी नदी घाट का धार्मिक महत्व यह है कि यहां श्रद्धालु गाय के पूँछ पकड़ भव सागर पार करने की मान्यता है।
जानकार बताते हैं कि इस घाट की आनन-फानन में कहीं भी एक समान खुदाई नहीं हुई है। कई कम तो कहीं अधिक है।
पहले यहां प्रवेश-निकास के लिये चचरी पुल की व्यवस्था होती थी। लेकिन इस बार कोई ध्यान नहीं दिया गया है। सबसे दिक्कत वृद्ध श्रद्धालुओं को होगी।
बहरहाल,राजगीर मलमास मेला की इस तरह की प्रशासनिक तैयारियों को लेकर समाज के जिम्मेवार वर्ग के लोग खुली आंख तमाशा देख रहे हैं। शायद उनके लिये प्रशासन की ऐसी लापरवाही-उदासीनता कोई मायने नहीं रखते।