“अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव की सलाह पर लालू ने राजद के संगठनात्मक जिलों के अनेक अध्यक्षों को बदलने का फैसला कर लिया है। तीन-चार दिनों में संगठन में बदलाव की प्रक्रिया का अंतिम अध्याय पूरा हो जाएगा…….”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। पटना राष्ट्रीय जनता दल में मुस्लिम-यादव (माय) का फार्मूला इतिहास बनने जा रहा है। पिछले पांच चुनावों के हश्र से सबक लेते हुए लालू प्रसाद ने विधानसभा चुनाव से पहले नए वोट बैंक की तलाश तेज कर दी है। शुरुआत संगठन में व्यापक बदलाव से की जा रही है।
माय समीकरण के सहारे पिछले तीन दशक से बिहार की राजनीति के अपरिहार्य बने लालू को 2005 के बाद से बिहार में हुए लोकसभा और विधानसभा के पांच चुनावों ने बड़ा सबक दिया है।
2015 के विधानसभा चुनाव को अगर अपवाद मान लिया जाए तो पिछले डेढ़ दशक के दौरान राजद के सांसदों एवं विधायकों की संख्या लगातार कम होती गई, जबकि संगठन में माय समीकरण का बोलबाला कभी कम नहीं हुआ।
नजीर के तौर पर सिर्फ पिछली कमेटी की बात की जाए तो राजद के बिहार में 50 संगठन जिले में 40 से ज्यादा जिलों में मुस्लिम और यादव अध्यक्ष थे, जिसे वोट बैंक के लिहाज से हर बार बनाया जाता था। दर्जन भर जिले तो ऐसे थे, जहां पांच-छह बार से लगातार एक ही किरदार का वर्चस्व चला आ रहा था।
राजद के वोटों का दायरा जब लालू फार्मूले तक ही सिमट गया तो नए नेतृत्व ने संगठन में माय समीकरण की सीमा तय करना जरूरी समझा। तेजस्वी ने संगठन के 45 फीसद पदों को अति पिछड़े और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया। लालू के लिए यह आसानी से मानने वाला फैसला नहीं था।
दशकों से दमदार बन चुके जिलाध्यक्षों के दायें-बायें चलने का डर था। ऐसे में लालू के सामने सांप को मारकर लाठी को बचाए रखने की चुनौती थी। चुनावी वर्ष में तेजस्वी के नए फार्मूले को लालू घातक समझ रहे थे। लिहाजा बीच का रास्ता निकाला गया।
वैसे जिलाध्यक्षों की पारी खत्म की जा रही है, जो कम से कम पिछले दो बार से कब्जा जमाए हुए थे। ऐसे जिलाध्यक्षों की संख्या 24 है। पिछली कमेटी में राजद के संगठनात्मक जिलों की संख्या 47 थी, जिसमें इस बार तीन का इजाफा कर 50 कर दिया गया है।
वैशाली के जिलाध्यक्ष पंछीलाल राय, पटना के देवमुनी यादव, पटना महानगर के महताब आलम, पूर्वी चंपारण के सुरेश यादव, गोपालगंज के रियाजुल हक, मुजफ्फरपुर के मिथिलेश यादव, सीतामढ़ी के मो. शफीक, शिवहर के सुमित कुमार, मधुबनी के रामबहादुर यादव, किशनगंज के इंतेखाब आलम, पूर्णिया महानगर के शब्बीर अहमद, कटिहार के तारकेश्वर ठाकुर, नालंदा के मो. तारिक हुमायूं की मनसबदारी खत्म होगी।
वहीं, कैमूर के मो. अजीमुद्दीन अंसारी, औरंगाबाद के कौलेश्वर यादव, पश्चिमी चंपारण के सुरेश यादव, मुजफ्फरपुर महानगर के वसीम अहमद मुन्ना, समस्तीपुर के विनोद यादव, बेगूसराय के अशोक यादव, खगडिय़ा के संजीव यादव, भोजपुर के हरिनारायण सिंह, जहानाबाद के मुजफ्फरपुर हुसैन राही, अरवल के रामाशीष यादव का जाना तय माना जा रहा है। भागलपुर के जिलाध्यक्ष तिरुपति नाथ को पहले ही हटा दिया गया है ।