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    Saturday, May 4, 2024
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      ‘भूमिहार-यादव में हो रोटी-बेटी का संबध’ कहने वाले लालू से लोग निराश

      “बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री बिहार केसरी स्व. डा. श्री कृष्ण सिंह के बहाने बिहार में एक नया राजनीतिक जातीय समीकरण बनाने की दिशा में नींव तो डालने की कोशिश की गई ,पर वह नीव सफल होते नहीं दिख रही।”

      lalu bhumihar 1पटना (विनायक विजेता)। शनिवार को राजधानी पटना के गांधी मैदान स्थित दो अलग-अलग सभागरों में श्री कृष्ण बाबू की जयंती के बहाने राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन की कोशिश और प्अपनी पहुंच और पहचान दिखाने की कोशिश हुई।

      पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह की अगुवाई में एक समारोह नवनिर्मित बापू सभागार में था तो दूसरा हम नेता नेता महाचंद्र प्रसाद सिंह की अगुवाई में एसके मेमोरियल हॉल में।

      एक समारोह को कांग्रेस प्रायोजित माना जा रहा था,जिसके मुख्य अतिथि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद थे तो दूसरा एनडीए प्रायोजित। भीड़ और शक्ति प्रदर्शन के मामले में अखिलेश तो बीस निकले पर जिस मकसद से उन्होंने लालू प्रसाद को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था वो अपने उस मकसद में सफल नहीं दिखाई दिए।

      अखिलेश सिंह के समारोह में जुटे एक जाति विशेष के हजारों लोगों को आशा थी कि 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद कोटे के 101 सीटों में से किसी सीट पर अपनी पार्टी से किसी भूमिहार को टिकट नहीं देने वाले लालू प्रसाद श्री बाबू के जयंती के अवसर पर इस जाति को खुश करने और उन्हें अपने दल और दिल से जोडने, इस जाती के नेताओ को उचित प्रतिनिधित्व और भागेदारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा करेंगे।

       बापू सभागार में मौजूद हजारो लोगों में सैकड़ों वैसे भी लोग थे,जिन्होंने वर्ष 2000 में एसके मेमोरियल हॉल में श्री बाबू की जयंती के अवसर पर लालू प्रसाद का वह भाषण सुना था, जिसमें तब उन्होंने जोर देकर कहा था कि ‘भूमिहार एवं यादवों के बीच बेटी-रोटी जैसा संबंध होना चाहिए।’

      पर शनिवार को आयोजित सभा में अपने 40 मिनट के संबोधन के क्रम में राजद सुप्रीमो भाजपा, मोदी, योगी, अमित शाह और नीतीश कुमार तक ही सीमित रह गए।

      इस समारोह में मौजूद लोग उस समय का इंतजार ही करते रह गए कि लालू इस समाज को साथ लेकर चलने और अपने दल में इस जाति को प्रतिनिधित्व देने की घोषणा कर राज्य में एक नया राजनीतिक जातीय समीकरण की नींव डालेंगें? पर वह समय आया ही नहीं और लालू के भाषण का बेसब्री से इंतजार कर रहे इस समाज को निराशा ही हाथ लगी।

      हालांकि पूर्व मंत्री अखिलेश सिंह ने तल्ख लहजे में कहा कि ‘भूमिहार’ भाजपा ‘कहारी’ नहीं कर ‘भूमिहारी’ दिखाएं। कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह की अगुवाई में शनिवार को हुए इस समारोह में बिहार कांग्रेस का अंदरुनी कलह भी सतह पर दिखा।

      निमंत्राण के बावजूद बिहार कांग्रेस के प्रभारी सीपी जोशी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी, सांसद रंजीता रंजन, विधायक अमिता भूषण, विजय शंकर मिश्र, प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार सहित कई कांग्रेसी नेता इस समारोह में नहीं आए।

      कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी, कांग्रेसी नेता प्रेमचंद मिश्र, युवा कांग्रेस के कुमार आशीष सहित देश और राज्य के कई दिग्गज कांग्रेसी जिसमें पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एलपी शाही, पूर्व केन्द्रीय मंत्री शकील अहमद, पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, पूर्व केन्द्री मंत्रीसंदानंद सिंह, के के तिवारी, भावना झा, अशोक राम, नरेन्द्र प्रसाद, एवं सिद्धार्थ कुमार, राजद विधायक भोला यादव, राजद के प्रवक्ता चितरंजन गगन, राजद के एम्एलसी रणविजय सिंह एवं कांग्रेस नेता अजय सिंह टुन्नू सहित कई कांग्रेसी और राजद के नेताओं ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज की।

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