अन्य
    Saturday, November 23, 2024
    अन्य

      नालंदा के इन बालू माफियाओं के खिलाफ क्यों नहीं हो रही कार्रवाई ?

      बिहार के सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले नालंदा में बालू माफियाओं के सामने पुलिस प्रशासन कितनी बौनी साबित है या फिर उनके साथ गलबहियां बांधे है, इसका जीता-जागता प्रमाण है मानपुर थाना के तिउरी गांव में व्यापक पैमाने पर हुई अवैध उत्खनन और जानकारी के बाबजूद भी किसी भी स्तर पर कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हो पाना।”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार शरीफ प्रखंड स्थित मानपुर थाना क्षेत्र के तिउरी गांव अवस्थित गोईठवा नदी के किनारे 10 एकड़ 05 डिसमिल जमीन पर 15 से 20 फीट गड्ढा खोदकर बालू की निकासी कर जब धड़ल्ले से बेच जा रही थी, तब ग्रामीणों ने इसकी लिखित शिकायत बिहारशरीफ के अंचलाधिकारी से की। लेकिन तत्काल इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।1

      इसके बाद यह मामला बिहारशरीफ के अनुमंडल पदाधिकारी सुधीर कुमार के संज्ञान में गया। इस पर उन्होंने सीओ को जांच कर यथोचित कार्रवाई करने के निर्देश दिये।

      इस निर्देश पर बिहारशरीफ सीओ ने देर से ही सही अपनी गर्दन बचाते हुये अपने कार्यालय पत्रांक 390 दिनांकः 08.02.18 को नालंदा जिला खनन पदाधिकारी को ‘गोईठवा नदी के दक्षिण-पश्चिम किनारे से अवैध बालू उठाव के संबंध में’ विषयगत पत्र प्रेषित किया।

      बकौल बिहारशरीफ अंचलाधिकारी पत्र, जांचोपरांत पाया गया कि मौजा-तिउरी, थाना नं.-106, खाता नं.-426, खेसरा नं.-190, कुल रकबा-10.05 एकड़ एवं खाता नं.-636, खेसरा नं.-2342, कुल रकबा-0.72 डीसमिल यानि कुल रकबा-10.77 एकड़, जो गरमजरुआ आम खाते की है, जो नदी है।

      उस पर उमेश सिंह, भरत सिंह, धर्मेंद्र सिंह, दीपक कुमार, उपेन्द्रसिंह,विरेन्द्र सिंह  के द्वारा अवैध रुप से बालू निकाल कर बेचने का कार्य कर रहे हैं।  

      आश्चर्यजनक बात है कि बिहारशरीफ सीओ के द्वारा फरवरी,18 में लिखे गये जांच-पत्र पर जिला खनन पदाधिकारी यह कह कर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की कि सीओ को खुद चिन्हित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवानी चाहिये थी। उधर सीओ का कहना रहा कि मामला खनन से जुड़ा है, अतएव किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई उसी विभागीय स्तर से होनी है।balu mafiya nalanda 1

      हालांकि इस मामले में बिहारशरीफ सीओ हों या जिला खनन पदाधिकारी, दोनों अपनी जबाबदेहियों से एक दूसरे पर मामले की फेंका-फेंकी कर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते।

      खासकर उस हालत में जब बालू माफियाओं द्वारा चिन्हित क्षेत्र को लूट लिया हो और कार्रवाई की फाईल धूल फांक रही हो।

      ग्रामीण बताते हैं कि स्थानीय पुलिस की मिलाभगत से हुई इस अवैध खनन की लिखित शिकायत पहले बिहारशरीफ अंचलाधिकारी से किया गया। नालंदा जिले के उच्च स्तर के पदाधिकारियों तक भी इसकी सूचना दी गई।

      मगर खनन के दौरान बालू माफियाओं के ऊपर कहीं से कोई कार्रवाई नहीं की गई। बालू खनन माफिया आम गैरमजरूआ जमीन की संपदा को लुटते रहे और पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बनकर कैसे देखती रही।11

      ग्रामीण बताते हैं कि उक्त जमीन पर हरे-भरे शीशम के बगीचे थे, जिसे भी इन लोगों के द्वारा काट लिया गया और जमीन को इतना गहरा कर दिया गया है कि बरसात के मौसम आने के बाद यदि नदी में बाढ़ आया तो गांव में प्रलय की स्थिति होनी तय है।

      सबाल उठता है कि नालंदा में यह कैसा सुशासन और जीरो टॉलरेंस है कि माफियाओं द्वारा प्रतिबंधित बालू का सरेआम उत्खनन कर लूटने का खेल शुरु होता है। ग्रामीण उसकी हर स्तर पर शिकायत करते हैं। उस दौरान जिम्मेवार सरकारी महकमा अपनी कान में ठेठीं डाले रहती हैं।

      जब सब कुछ लूट लिया जाता है, तब जांच-कार्रवाई का पत्राचार किया जाता है। उस पर भी पड़ी धूल को शासन का कोई नुमांईदा हटाने को तैयार नहीं है। सब उसे दबाने में लगे हैं। इस खेल में पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत प्रतीत तो होती है,  जिला खनन पदाधिकारी की भूमिका भी कम संदिग्ध दृष्टिगोचर नहीं है। 

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!