Home देश सीएम नीतिश कुमार के लिये ‘न उगलते न निगलते’ बन रहे दुलारचंद...

सीएम नीतिश कुमार के लिये ‘न उगलते न निगलते’ बन रहे दुलारचंद यादव !

“दुलारचंद यादव लगा रहे नीतीश आवास का चक्कर। सीताराम सिंह हत्याकांड में नीतीश के साथ आरोपित हैं दुलारचंद यादव। किसी भी आयोग में महत्वपूर्ण पद चाह रहे हैं दुलारचंद यादव। नीतीश की हालत ‘आगे कुआं और पीछे खाई’ और ‘ना उगलते और ना निगलते’ वाली जैसी।”

पटना (विनायक विजेता)। ऐसी अवधारण है कि अबतक किसी भी मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को किसी ने ब्लैकमेल नहीं किया और मुख्यमंत्री ने वही निर्णय लिया है जो उन्हें उचित लगा है।

dularchand yadavपर अब एक ऐसा मामला सामने आने वाला है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए ‘आगे कुआं और पीछे खाई’ वाली कहावत को चरितार्थ कर सकता है।

मामला 1991 में लोकसभा चुनाव के दौरान बाढ में हुए कांग्रेसी कार्यकर्ता सीताराम सिंह की हत्या से संबंधित है। इस मामले में मृतक के भाई सह घटना के सूचक के बयान पर 19 नवंबर 1991 को पंडारक थाने में बाढ के तत्कालीन लोकसभा प्रत्याशी नीतीश कुमार, उनके सहयोगी दुलारचंद यादव सहित कुछ लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

नीतीश कुमार पर प्रत्यक्ष आरोप है कि उन्होंने अपनी पिस्टल निकालकर खुद ही सीताराम सिंह को गोली मारी थी। 1 सितम्बर 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन एसीजेएम रंजन कुमार ने इस मामले में नीतीश कुमार और दुलारचंद यादव को भादवि की धारा 147/148/149/302 एवं 307 के तहत दोषी पाते हुए उनपर ट्रायल शुरु करने का आदेश पारित कर दिया।

पर अचानक यह मामला ठंढे बस्ते में चला गया। दो माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर पुन: संज्ञान लिया है। इस बहुचर्चित हत्याकांड मामले में एक सह-अभियुक्त दुलारचंद यादव टाल इलाके के यादव समुदाय में काफी लोकप्रिय हैं।

90 के प्रारंभिक दशक में जब रामलखन सिंह यादव को यादवों का पोप माना जाता था तो इसी मिथ्या को तोडने के लिए दुलारचंद यादव का प्रयोग किया गया और दुलारचंद नीतीश के करीबी बन गए।

सीताराम सिंह की हत्या की घटना के बाद से नीतीश कुमार चौथी बार मुख्यमंत्री बने पर उन्हें मदद करने वाले यादव महासंघ से जुडे कद्दावर नेता दुलारचंद यादव की उन्होंने कभी सुध नहीं ली। सूत्र बताते हैं कि इसकी कसक दुलारचंद यादव को है।

फिलवक्त जब बिहार के विभिन्न आयोगों और निगमों में रिक्त पडे अध्यक्ष और सदस्यों के महत्वपूर्ण पदों को पाने के लिए होड मची है वैसे में दुलारचंद यादव ने भी किसी भी आयोग के लिए अपने नाम का चयन के लिए दावा ठोक दिया है।

सूत्र बताते हैं कि अगर उन्हें किसी आयोग में कोई जगह नहीं मिली तो वह सीताराम सिंह हत्याकांड में सरकारी गवाह बनकर नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ ऐसा विस्फोटक बयान दे सकते हैं जिससे नया राजनीतिक तूफान पैदा तो पैदा होगा ही नीतीश कुमार का राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लग सकता है।

विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि कुछ दिनों पूर्व्र तक अस्वस्थ रहे दुलारचंद यादव प्रतिदिन नीतीश कुमार से मिलने के लिए 1-अणे मार्ग का चक्कर काट रहें हैं पर उनकी मुलाकात अबतक मुख्यमंत्री से हुई्र कि नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।

बहरहाल, इस मामले में नीतीश कुमार के लिए ‘आगे कुआं और पीछे खाई’ और ‘ना उगलते और ना निगलते’ वाली स्थिति पैदा सकती है।

नीतीश अगर दुलारचंद यादव को किसी आयोग में स्थान देते हैं तो विपक्ष के लिए यह बडा मुद्दा बन सकता है और अगर नहीं देते हैं तो दुलारचंद सरकारी गवाह बनकर नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन में बडा उलट-फेर कर सकते हैं।

error: Content is protected !!
Exit mobile version