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छात्र जदयू नेता के नालंदा कॉलेज में ‘बंदर-बंदरिया डांस’ लेखन के बाद मचा बवाल

बिहार के सीएम नीतीश कुमार छात्र आंदोलन की एक बड़ी उपज माने जाते हैं। आज उनकी अपनी पार्टी और सरकार है। बिटिया सम्मान और नारी सशक्तीकरण पर उनकी सकारात्मक सोच को नकारा नहीं जाता। लेकिन उनके गृह जिले में छात्र जदयू  नेताओं का जो चेहरा सामने आया है, वह काफी शर्मसार करने वाली है।”

jdu student lealer madness 3एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। प्रतिष्ठित व प्राचीन नालंदा कॉलेज छात्र संघ ईकाई के कांउसिल सदस्य एवं जिला जदयू छात्र नेता गौरव कुमार की कमेंट ने बबाल खड़ा कर दिया है।

गौरव ने सारी मर्यादाएं तोड़ते हुये 3 दिन पहले अपनी फेसबुक वाल पर लगातार दो कमेंट लिखे। उसने पहले लिखा.. “बंदरिया लोग”।

फिर तुरंत लिखा.. “बंदरिया का डांस देखना है तो नालंदा कॉलेज कभी आये”।

गौरव ने छात्र नेता के रुप में अपने ही प्रतिष्ठित कॉलेज के बारे में जब इस तरह की बातें लिखा तो सनसनी फैल गई। इस पर जिला तकनीकी सेल के अध्यक्ष नवीन कुमार ने संगठन की बदनामी को लेकर कड़ी आपत्ति की।

लेकिन कहते हैं कि छात्र जदयू के जिलाध्यक्ष धनंजय कुमार देव ने अनसुनी कर दी। उल्टे ईशारे पर गौरव ने नवीन को लेकर काफी आपत्तिजनक पोस्ट शेयर कर डाले।

इससे आहत नवीन ने बिहार थाना में लिखित शिकायत की। थाना स्तर पर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई।

मामला दर्ज तक नहीं की। बहाने बना कर टरकाया जाता रहा। 

बकौल बिहार थाना ऐसे शिकायत को किसी भी धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती है।

इसके बाद जिला तकनीकी सेल कमिटि के लोगों ने जब नालंदा एसपी से मिलकर थानाध्यक्ष की शिकायत करने की बात कही तो आज तीसरे दिन शिकायतकर्ता को रिसीविंग मुहर लगी एक प्रति दे दी और कहा गया कि आज जांच-पड़ताल करने के लिये और समय चाहिये।

इधर दो दिन बाद गौरव कुमार ने अपनी कंमेंट को एडिट कर दिया है। अब उसने फेसबुक वाल कमेंट में क्रमशः “बंदर लोग” और  “बंदर का डांस देखना है तो नालंदा कॉलेज में कभी आये” कर दिया है।

यह सब पुलिस में हुई शिकायत के भय और नालंदा कॉलेज के छात्र-छात्राओं में उभरे आक्रोश के बाद किया गया साफ प्रतीत होता है।

बहरहाल, सबाल उठता है कि किसी भी दल के तकनीकी सेल का कार्य ही होता है सोशल साइट पर नजर रखना। पार्टी की बदनामी वाले दुष्प्रचार से अवगत कराना।

छात्र जदयू नेता गौरव कुमार के पोस्ट कंमेंट सार्वजनिक व व्यक्तिगत तौर पर अपमानित करने वाले हैं। छात्र-छात्रा या शिक्षकों को लेकर बंदर-बंदरिया का आशय सभ्य नहीं समझे जा सकते। उल्टे अपने दल-बल के साथ निजी हमला करना ढिठई की हद ही मानी जायेगी।  

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