“न तेज आंधी आई। न बारिश हुई। न भूकंप आया और न ही जलजला। फिर भी इस्लामपुर रेलवे स्टेशन परिसर में लगा सोलर लाइट सिस्टम अचानक गिर गया। उसकी चपेट में आकर एक घर का चिराग बुझ गया….”
इस्लामपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। आखिर इसे आप क्या कहेंगे। हादसा? लेकिन इस हादसे को लेकर जिस तरह की तस्वीरें सामने आई है, उससे साफ जाहिर होता है कि यह लापरवाही भी नहीं, भ्रष्टाचार जनित एक बड़ा संगठनिक अपराध है, जिसकी जद में आए दिन लोग यूं हीं दर्दनाक मौत होते रहती है।
मूल खबर है कि जहानाबाद जिले के घोसी थाना इलाके के मुड़ला बिगहा गांव निवासी अशोक यादव का पुत्र रंजन, इस्लामपुर के बुढानगर में अपने नाना के घर रहकर संत जोसेफ स्कूल में पांचवी क्लास का पढ़ाई कर रहा था और वह साइकिल से किसी ट्रेन का टाइम पता करने आया था कि अचानक उस पर सोलर लाइट सिस्टम का पोल गिर गया, जिससे दबकर उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
शुक्र था कि उस समय किसी भी स्टेशन परिसर पर भीड़-भाड़ नहीं था और न ही ट्रेन की कोई आवाजाही। अन्यथा जानमाल की बड़ी हानि हो सकती थी। हालांकि इस घटना के बाद खूब बवाल मचा और प्रशासन ने किसी तरह से मामले को संभाला। फिलहाल पुलिस यूडी केस दर्ज किया है।
सबाल उठता है कि इस तरह की घटनाओं को लेकर पुलिस या विभाग मूल खामियों की पड़ताल कर यथोचित कार्रवाई क्यों नहीं करती। किसी ने अभी तक इस बात की सुध नही ली है कि उस पोल को लगाया औऱ लगवाया कौन था। उसे किस अफसर ने ओके कहा।
तस्वीरों से साफ जाहिर है कि एक तो उस सोलर लाइट सिस्टम पोल लगाने का न तो जगह ही उपर्युक्त था और न ही उसका सही तरीका। एक भारी भरकम पोल को असक्षम नट-वोल्ट पर खड़ा किया गया था।
यही नहीं 4 वोल्ट की जगह वन साइडेड दो नट ही कसा गया था और दूसरे साइड यूं ही अटका कर छोड़ दिया गया। नतीजतन पोल एक तरफ झुकते हुए सोलर सिस्टम के साथ गिर गया। अफसरशाही-ठेकेदारी-भ्रष्टाचार की नापाक गठजोड़ से ऐसी मौतें आम हो गई है।
इससे आहत लोग हल्ला-हंगामा करते रहते हैं। लेकिन ‘ठन ठन की सुनो ठनकार में’ इसे देखने सुनने वाला कोई नहीं हैं। मामला तब अधिक चिंताजनक हो जाती है, जब जिम्मेवार लोग भी उसी नाली में गोते लगाने में मशगुल हो जाते हैं।