“लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है और उसे अपनी मूलभूत समस्याओं को लेकर विरोध करने का भी अधिकार है। वहीं चुनाव में कोई भी उन्हें अपने मताधिकार से न बंचित कर सकता है औऱ न ही जबरन थोप सकता है, लेकिन आज शासन तंत्र के नुमांइदे अपनी नाकामी को ढंकने के लिए वे कर बैठते हैं, जिसे कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता ……”
नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के नालंदा विधान सभा क्षेत्रअंतर्गत राजगीर प्रखंड के चंदौरा और बड़हरि गांव में ग्रामीणों ने मूलभूत समस्याओं को लोकर वोट का बहिष्कार कर रखा था।
लेकिन वहां प्रखंड विकास पदाधिकारी ने आंगनबाड़ी सेविका को दबाव में लेकर उससे वोट दिलवा दिया। इससे ग्रामीण भड़क उठे और बीडीओ को बंधक बना लिया और मारपीट की।सरकारी वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया।
लोग इतने आक्रोशित थे कि उनके भय से बीडीओ की स्कार्पियो सवार पुलिस स्कार्ट को उल्टे पांव भागना पड़ा और किसी तरह जान बचाई।
तब बीडीओ के साथ राजगीर थाना का एक दारोगा भी था, जो लोगों को धमका रहा था। इससे लोग और भी आक्रोशित हो गए और मतदान केन्द्र पर जमकर तोड़फोड़ की। ईवीएम तक को नष्ट कर डाला।
पथरौरा पंचायत का चंदौरा गांव और बड़हरि गांव जदयू समर्थक बहुल रहा है, लेकिन वे पेयजल जैसी समस्याओं को लेकर काफी नाराज थे। गांव की महिलाएं तक वोट बहिष्कार को लेकर सड़क पर उतरे थे।
सवाल उठता है कि लोकतंत्र में अपने तरीके से लोगों को विरोध करने का अधिकार है तो फिर बीडीओ को क्या जरुरत पड़ी थी कि वे किसी आंगनबाड़ी सेविका पर दबाव बनाकर माहौल खराब करे।
ग्रामीण यहां तक कहते हैं कि इसके पूर्व पुलिस वाले गांव में आकर वोट बहिष्कार की बाबत धमकाते रहे। यह एक बड़ा जांच का विषय है। फिलहाल समूचा चंदौरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील बताया जा रहा है और ग्रामीण शासन के खिलाफ गुस्से में नजर आ रहे हैं।