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झारखंडः 15 वर्ष से अधिक उम्र के 36 फीसदी बच्चे नहीं जाते स्कूल, गांवों में शिक्षा की स्थिति दयनीय

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। भारत देश के झारखंड में महिला साक्षरता की स्थिति अच्छी नहीं है। आलम यह है कि आज भी राज्य की 38 फीसदी से अधिक महिलाओं को एक वाक्य या कुछ शब्द भी पढ़ना नहीं आता है।

ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति तो और भी खराब है। शहर में रहने वाली 80.1 फीसदी महिलाएं जहां साक्षर हैं। राज्य में 15 वर्ष से अधिक उम्र के 36 फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं।

वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में की लगभग आधी (55.6 प्रतिशत) महिलाएं पढ़ना लिखना नहीं जानती हैं। इसका खुलासा भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019-21 के बीच कराए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) से हुआ है।

सर्वेक्षण में पाया गया कि झारखंड में राज्य में 61.7 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं, नौवीं कक्षा या उससे आगे की पढ़ाई कर चुकी हैं। यानी वह एक वाक्य या कुछ शब्द पढ़ सकती हैं। महिलाओं की तुलना में झारखंड में पुरुषों की साक्षरता दर बेहतर है।

रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पुरुषों की कुल साक्षरता दर जहां 81.3 प्रतिशत है। वहीं राज्य में शहरी क्षेत्र के 92 प्रतिशत पुरुष पढ़ना 9 वीं कक्षा तक या उससे आगे की पढ़ाई किए हैं। जबकि, ग्रामीण क्षेत्रों के 22.6 प्रतिशत पुरुष वाक्य या कुछ शब्द भी नहीं पढ़ सकते हैं।

चार वर्ष तक के महज 19 फीसदी बच्चे जाते हैं प्री स्कूलः एनएफएचएस-5 में पहली बार प्रीस्कूल के अलावा 6-17 वर्ष की आयु के बच्चों की विद्यालय में उपस्थिति तथा परिवार के अन्य सदस्यों की शैक्षिक उपलब्धि के अलावा विद्यालय छोड़ने के कारणों सहित अन्य जानकारी एकत्र की गई है।

जिसके अनुसार झारखंड में 2-4 वर्ष की आयु के महज 19 प्रतिशत बच्चे प्रीस्कूल (पूर्व प्राथमिक शिक्षा) में जाते हैं। उसमें भी संयुक्त परिवारों के 22 प्रतिशत बच्चों की तुलना में एकल परिवारों के महज 16 प्रतिशत बच्चे ही प्री स्कूल में जाते हैं।

संयुक्त परिवार की बात करें तो 3-5 सदस्यों वाले परिवारों और 6 या अधिक सदस्यों वाले परिवारों (19, प्रत्येक) में पूर्वस्कूली उपस्थिति समान है।

राज्य में 65 फीसदी लड़कियां जाती हैं स्कूलः झारखंड में 6 से 17 वर्ष की आयु के 85 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते हैं। उसमें भी शहरी क्षेत्र में जहां 9 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 17 प्रतिशत बच्चे स्कूल ही नहीं जाते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 6 से 14 वर्ष की आयु में स्कूल में उपस्थिति अधिक होती है लेकिन उसके बाद स्कूलों की उपस्थिति काफी गिर जाती है। राज्य में 15 वर्ष के 36 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाना बंद कर देते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार 15-17 वर्ष की आयु में महज 64 प्रतिशत बच्चे ही स्कूल जाते हैं। हालांकि 6-14 वर्ष के आयु वर्ग में स्कूल की उपस्थिति में कोई लैंगिक असमानता नहीं है। लेकिन 15-17 वर्ष के आयु वर्ग में, 65 प्रतिशत लड़कों की तुलना में 62 प्रतिशत लड़कियां स्कूल जा रही हैं।

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