नालंदा इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्रा की मौत से प्रबंधन की बड़ी लापरवाही उजागर

नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। ‘कारवां गुजर गया, हम गुब्बार देखते रहे… गीतकार नीरज की यह पंक्ति नालंदा इंजीनियरिंग कॉलेज चंडी में हाल की दुखद घटना पर सटीक बैठती है। एक छात्रा की कथित आत्महत्या और उसके बाद भड़के छात्रों के आक्रोश ने कॉलेज परिसर को रणक्षेत्र में बदल दिया। इस घटना ने न केवल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि शैक्षणिक संस्थानों में आपातकालीन प्रबंधन की कमी को भी सामने लाया।
The death of a student at Nalanda College exposes the gross negligence of the management.
बुधवार देर रात नालंदा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एक छात्रा, सोनम कुमारी, की छत से गिरकर मौत हो गई। जानकारी के अनुसार सोनम छत पर बैठी थी जब अज्ञात कारणों से वह नीचे गिर गई, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे ने कॉलेज परिसर में हड़कंप मचा दिया। सोनम की सहपाठी शिखा कुमारी ने यह दृश्य देखकर गहरा सदमा सहा, जिसके चलते उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसे तुरंत हायर सेंटर रेफर किया गया।
छात्रों का दावा है कि सोनम हाल ही में परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के कारण तनाव में थी। हालांकि इस दावे की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। छात्रों ने कॉलेज प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अगर समय रहते घायल छात्रा को अस्पताल पहुंचाने के लिए वाहन उपलब्ध कराया जाता, तो शायद उसकी जान बच सकती थी।

छात्रों के अनुसार उन्होंने कॉलेज के प्रिंसिपल गोपालनंदन से घायल छात्रा को अस्पताल ले जाने के लिए वाहन की मांग की थी। लेकिन प्रिंसिपल ने कथित तौर पर यह कहकर मना कर दिया कि “गाड़ी गंदी हो जाएगी।” इस अमानवीय टिप्पणी ने छात्रों के गुस्से को और भड़का दिया। उनका कहना है कि प्रिंसिपल की इस असंवेदनशीलता और लापरवाही के कारण एक कीमती जान चली गई।
सोनम की मौत की खबर फैलते ही सैकड़ों छात्र-छात्राएं चंडी के रेफरल अस्पताल पहुंच गए और रात भर उग्र प्रदर्शन किया। गुस्साए छात्रों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा मचाया। इस दौरान उन्होंने डीएसपी (विधि व्यवस्था) की गाड़ी के शीशे तोड़ दिए और एक स्कूटी को आग के हवाले कर दिया। स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि स्वास्थ्य केंद्र रणक्षेत्र में तब्दील हो गया।

गुस्साए छात्रों की भीड़ ने कॉलेज के विभिन्न हिस्सों में जमकर उत्पात मचाया। कॉलेज की लैब, बिजली बोर्ड, फर्नीचर, खिड़कियां और दरवाजों को निशाना बनाया गया। कई चारपहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया, जिसमें विधि व्यवस्था डीएसपी के वाहन के शीशे भी तोड़े गए। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार इस तोड़फोड़ और आगजनी से कॉलेज की करोड़ों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
इस घटना की गंभीरता को देखते हुए गुरुवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त सचिव मंजीत कुमार चंडी पहुंचे। उन्होंने कॉलेज प्रशासन के साथ मिलकर परिसर का निरीक्षण किया और क्षतिग्रस्त लैब, भवनों और वाहनों का जायजा लिया।

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी और दुखद घटना है। कॉलेज प्रशासन नुकसान का आकलन कर रहा है और अनुमान है कि करोड़ों रुपये की संपत्ति को क्षति पहुंची है। घटना के कारणों की जांच पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है। दोषी छात्रों के खिलाफ कॉलेज और विभाग दोनों मिलकर उचित कार्रवाई करेंगे।
हालांकि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी है। कई छात्रों को हिरासत में लिया गया है और मामले की गहन जांच की जा रही है। जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है। डीएसपी के वाहन को नुकसान पहुंचाने की घटना ने विधि व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठाए हैं। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और सभी पहलुओं की जांच के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

कॉलेज प्रशासन ने इस घटना को अत्यंत गंभीर बताया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि छात्रों के गुस्से का कारण सोनम की कथित आत्महत्या थी, जिसके बाद स्थिति अनियंत्रित हो गई। प्रशासन ने नुकसान के आकलन के लिए एक समिति गठित की है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके साथ ही परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त करने की योजना बनाई जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

छात्र-छात्राओं की एकमात्र मांग है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार प्रिंसिपल गोपालनंदन के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि प्रबंधन की लापरवाही और असंवेदनशील रवैये ने एक मासूम छात्रा की जान ले ली। इसके साथ ही छात्रों ने कॉलेज में आपातकालीन स्थिति के लिए बेहतर सुविधाएं और प्रबंधन सुनिश्चित करने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।

वेशक इस दुखद घटना ने पूरे चंडी इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। यह घटना न केवल कॉलेज प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे शैक्षणिक संस्थान ऐसी आपात स्थितियों के लिए तैयार हैं। लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा और आपातकालीन प्रबंधन के लिए पर्याप्त व्यवस्था है?

बहरहाल सोनम कुमारी की मौत ने नालंदा इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंधन की खामियों को उजागर किया है। यह घटना एक चेतावनी है कि शैक्षणिक संस्थानों को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा। प्रशासन और पुलिस से अपेक्षा है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां टाली जा सकें। यह घटना नालंदा कॉलेज के लिए एक सबक है कि छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना कितना आवश्यक है।
