Home पर्यटन जल्द टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित होगा कैमूर वन अभ्यारण्य

जल्द टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित होगा कैमूर वन अभ्यारण्य

कैमूर अभ्यारण्य यूपी के सोनभद्र और मिर्जापुर होते हुए मध्य प्रदेश तक करीब 450 वर्ग किमी लंबा कॉरिडोर है। ऐसी स्थिति में टाइगर रिजर्व जुड़े होने से यहां बाघों का आना-जाना लगा रहता है

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। पटना राज्य में इस साल कैमूर वन अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित किया जा सकता है। इसका रास्ता साफ हो गया है।

इस संबंध में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से जंगल और आबादी वाले हिस्से को अलग- अलग कर फिर से इसकी रिपोर्ट मांगी थी। यह रिपोर्ट बन चुकी है और बहुत जल्द यह रिपोर्ट राज्य सरकार के माध्यम से एनसीटीए के पास भेजी जायेगी।

इस रिपोर्ट के आधार पर ही कैमूर वन अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित होने की संभावना है। टाइगर रिजर्व घोषित होने से इस क्षेत्र को इको टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जा सकेगा। इससे रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

बिहार में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के बाद दूसरा टाइगर रिजर्व कैमूर में होगा। कैमूर वन क्षेत्र का इलाका करीब 1600 वर्ग किमी है, जबकि वीटीआर का इलाका करीब 900 वर्ग किमी है।

कैमूर वन अभ्यारण्य के अलग-अलग हिस्से में छोटे-छोटे टोले हैं। आबादी वाले इस हिस्से में रहने वालों का दैनिक क्रियाकलाप भी जंगल के रास्ते होता है। इसके साथ ही जंगल के हिस्से में ही हाल ही में लाइमस्टोन मिलने की जानकारी सामने आयी थी।

ऐसे में खनन वाले हिस्से को भी वन क्षेत्र से बाहर करना था। इस तरह कैमूर वन्य अभ्यारण्य में करीब तीन हजार हेक्टेयर को बाहर करना था। इसकी एवज में करीब इतने ही इलाके को वन क्षेत्र में शामिल करना था। अब यह जगह चिह्नित हो चुकी है। मंजूरी मिलने पर आबादी वाले हिस्से पर जंगल का प्रतिबंधित पूरा कानून लागू नहीं होगा और आम जनजीवन प्रभावित नहीं होगा।

कैमरा ट्रैप में बाघ की तस्वीर हुई थी कैदः खबरों के अनुसार मार्च 2020 कैमूर वन अभ्यारण्य में वन विभाग द्वारा लगाये गए कैमरा ट्रैप में घूमते हुये बाघ की तस्वीर कैद हुई थी। इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा गठित टीम ने यहां का दौरा किया था।

वर्तमान में कैमूर के वन क्षेत्रों में भालू, तेंदुआ, हिरण सहित कई जानवरों की मौजूदगी है। इसके अलावा यहां विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षी भी आते रहते हैं। कैमूर वन क्षेत्र काफी बड़ा है और इसकी सीमा झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के जंगलों से मिलती है।

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