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नीतीश जी के ‘सरसों’ में घुसा भाजपा का भूत? 11 माह में 7वीं सफाई- गलती हो गई!

BJP's ghost enters Nitish's politics, 7th clarification in 11 months- 'A mistake was made'
BJP's ghost enters Nitish's politics, 7th clarification in 11 months- 'A mistake was made'

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बयानबाजी ने एक नई बहस को जन्म दिया है। बीते कुछ महीनों में उन्होंने सात बार कहा कि उनसे “दो बार गलती हो गई थी” और अब वह “इधर-उधर” नहीं जाएंगे। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या नीतीश कुमार के अंदर भाजपा का दबाव बढ़ गया है? या फिर बार-बार यह सफाई देना उनके राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाता है?

बीते दिन एक शिक्षक सभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने फिर से अपने पुराने बयानों को दोहराया। उन्होंने कहा, “मुझसे दो बार गलती हो गई थी। अब कभी इधर-उधर नहीं जाऊंगा।” इस बयान से एक बार फिर उनकी राजनीतिक स्थिति पर चर्चा शुरू हो गई।

इसके ठीक पहले 5 नवंबर को भी जमुई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा में उन्होंने कहा था, “हम लोग हमेशा से साथ में थे, बीच में कुछ लोगों ने गलती कर दी। 1995 से हम लोग साथ रहे हैं। अब कहीं इधर-उधर नहीं जाएंगे।”

11 महीने में 7 बार दी सफाई- ‘गलती हो गई’ नीतीश कुमार की राजनीति पिछले 11 महीनों में बेहद उथल-पुथल भरी रही है। 28 जनवरी 2024 को जब उन्होंने इंडिया गठबंधन को छोड़कर एनडीए में फिर से वापसी की तो उन्होंने कहा, “हम लोग मेहनत कर रहे थे। लेकिन सारा क्रेडिट कोई और ले रहा था। अब हम जहां थे। वहीं वापस आ गए हैं और कहीं और जाने का सवाल नहीं उठता।”

लेकिन यह सफाई यहीं खत्म नहीं हुई। 6 सितंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में नीतीश ने कहा, “मैं आरजेडी के साथ कभी नहीं जाऊंगा। दो बार उनके साथ गया। यह मेरी गलती थी और अब यह गलती नहीं दोहराऊंगा।” इस प्रकार नीतीश ने एक के बाद एक सार्वजनिक सभाओं में अपने राजनीतिक फ़ैसलों के लिए माफी मांगी।

16 अक्टूबर को कटिहार में भी नीतीश ने जनता के सामने कहा, “हमने दो बार गड़बड़ी की थी, लेकिन अब हम कहीं और नहीं जाएंगे। हमारा गठबंधन अब स्थिर रहेगा।” वहीं 29 अक्टूबर को एनडीए की बैठक में भी उन्होंने यही बात दोहराई, “अब मैं भाजपा के साथ ही रहूंगा।”

नीतीश के पलटवार राजनीति में बदलती धाराः नीतीश कुमार का राजनीतिक इतिहास उनके कई बार बदलते हुए रुख से भरा पड़ा है। 16 जून 2013 को जब नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने तो नीतीश कुमार ने भाजपा से 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ दिया।

इसके बाद उन्होंने 2015 विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाया और महागठबंधन की सरकार बनाई। इस चुनाव में जीत हासिल करने के बाद तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने।

हालांकि, 26 जुलाई 2017 को आईआरसीटीसी घोटाले में तेजस्वी यादव का नाम आने के बाद नीतीश ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया और फिर से भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई।

इसके बाद 9 अगस्त 2022 को उन्होंने भाजपा का साथ छोड़कर राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ मिलकर एक नई सरकार बनाई, जिसमें तेजस्वी यादव फिर से डिप्टी सीएम बने।

लेकिन 28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार ने एक और यू-टर्न लिया और एनडीए में वापसी कर ली। इसी दिन उन्होंने भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

क्या नीतीश की सफाई भाजपा के साथ उनके डर को दर्शाती है? नीतीश कुमार का बार-बार यह कहना कि वह “इधर-उधर नहीं जाएंगे,” यह सवाल उठाता है कि क्या वह भाजपा से अलग होने को लेकर डर महसूस कर रहे हैं। उनका यह बयान एक तरफ उनकी राजनीतिक स्थिरता को दर्शाता है तो दूसरी तरफ यह भी संकेत देता है कि शायद भाजपा के साथ उनके रिश्ते में कुछ असमंजस है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक नीतीश कुमार का यह बयान भाजपा के साथ उनके गठबंधन को स्थिर करने की कोशिश हो सकती है। लेकिन इस तरह बार-बार के सफाई देने वाले बयानों से यह भी लगता है कि नीतीश कुमार की राजनीति में भाजपा के प्रति एक निहित डर या डर की भावना छिपी हुई है। जो उन्हें बार-बार अपनी स्थिति स्पष्ट करने को मजबूर कर रही है।

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