एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। ‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है’। झारखंड में सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में गीता कोड़ा के साथ यही हुआ है। वह कांग्रेस की सांसद थी। लेकिन अचानक ठीक चुनाव के पहले भाजपा के प्रभावहीन नेता का आवास जाकर पति मधु कोड़ा के साथ भाजपा ज्वाइन कर ली। भाजपा से टिकट भी मिला, लेकिन वोटिंग तक प्रायः भाजपाई उन्हें स्वीकार नहीं कर पाए।
यही नहीं, गीता कोड़ा ने अपने आम समर्थकों को अंत तक भी यह समझा पाने में विफल रही कि आखिर वह बतौर कांग्रेस की सीटींग एमपी भाजपा में किस लालच या दबाव में गई। कमजोर चुनाव प्रबंधन भी बेड़ा गर्क करने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। नतीजा सामने है। वह जिस तरह चुनाव हारी है, आगे विधानसभा चुनाव में भी उसका व्यापक असर पड़ना लाजमि है।
बहरहाल, पति देवेंद्र मांझी की हत्या उपरांत राजनीति में मजबूरन कदम रखने वाली करने वाली मनोहरपुर से पांच बार झामुमो विधायक और मंत्री रहने के बाद सिंहभूम की दूसरी महिला सांसद बन गई है।
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी सांसद गीता कोड़ा को 1 लाख 70 हजार 2 सौ चौरासी (17,02,84) मतों के भारी अंतर से हराया। जोबा मांझी को कुल मत 5,15,989 मत मिले, वहीं गीता कोड़ा 3,49,006 वोट ही जुटा सकीं। जबकि उनके चुनाव प्रचार में पीएम नरेन्द्र मोदी तक को मैदान में उतरना पड़ा।
जबकि 14 अक्टूबर 1994 को गोइलकेरा हाट में जब चक्रधरपुर और मनोहरपुर के विधायक रह चुके जल जंगल और जमीन आंदोलन के प्रणेता देवेंद्र मांझी की हत्या हुई थी तो किसी ने नहीं सोचा था कि उसकी पत्नी जोबा मांझी न केवल अपने पति के सपनों को साकार करने में सफल होगी, बल्कि राजनीतिक में स्वयं को स्थापित करते हुए सिंहभूम की आयरन लेडी बन जाएगी।
मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र में पांच टर्म विधायक और 6 बार कैबिनेट मंत्री का पद संभालने के बाद अब जोबा मांझी सिंहभूम की दूसरी महिला सांसद भी बन गई है। राजनीति की शिखर तक पहुंचाने के लिए जोबा मांझी ने जो संघर्ष किया है, वह सियासत में महिलाओं को सशक्त भागीदारी की मिसाल है।
बता दें कि वर्ष 1995 में अविभाजित बिहार में जोबा मांझी पहली बार मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक चुनी गई थी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वे बिहार में राबड़ी देवी सरकार में मंत्री बनाई गई। झारखंड गठन के बाद बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, मधुकोड़ा, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया। उनकी पहचान निर्विवाद और बेदाग छवि के नेता के रूप में रही।
वेशक जोबा मांझी आज की चमक-धमक राजनीतिक दौर में सादगी और सरल स्वभाव की एक धनी महिला हैं। उनकी सादगी का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि पति देवेंद्र मांझी के विधायक थे, तब वह चक्रधरपुर के इतवारी बाजार में सब्जी बेचा करती थी।
आज भी राजनीतिक के शिखर पर पहुंचने और तमाम व्यवस्था के बीच समय निकालकर वे न केवल घरों का काम करती है, बल्कि अपने खेतों में भी एक आम किसान की तरह खेती बाड़ी का करते देखी जाती है। आम जीवन में सादगी और लोगों के साथ मुलाकात के दौरान सरलता से पेश आना ही उसकी असली पहचान बन चुकी है।
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