Home जरा देखिए DEO को MLA से खतरा, ACS से मांगा ट्रांसफर, जानें गंभीर मामला

DEO को MLA से खतरा, ACS से मांगा ट्रांसफर, जानें गंभीर मामला

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पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में शिक्षा विभाग के एक वरीय अधिकारी ने स्थानीय विधायक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) अजय कुमार सिंह ने अपर मुख्य सचिव (ACS) शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है और स्थानांतरण की मांग की है।

डीईओ के अनुसार विगत 19 फरवरी की सुबह 9:30 बजे पारू विधानसभा क्षेत्र के विधायक अशोक कुमार सिंह उनके सरकारी आवास पर पहुंचे और उन पर नियम-विरुद्ध कार्य करने का दबाव डाला। विधायक ने दावा किया कि उनके 8-10 लोगों ने विभिन्न स्कूलों में मरम्मत एवं निर्माण कार्य किया है। लेकिन उनके पास कोई आधिकारिक कार्यादेश नहीं है। उन्होंने डीईओ से कहा कि इन कार्यों को स्वीकृति देते हुए भुगतान किया जाए।

डीईओ अजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि जब उन्होंने इस अवैध अनुरोध को मानने से इन्कार किया तो विधायक ने पांच मिनट तक अपशब्द कहे, जो किसी सभ्य व्यक्ति के लिए बयान करना भी संभव नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विधायक और उनके साथ आए कुछ लोगों का रवैया हिंसक था। जिससे उन्हें लगा कि प्रतिकार करने पर उन पर जानलेवा हमला हो सकता है।

डीईओ ने पत्र में उल्लेख किया कि जाते-जाते विधायक ने उन्हें धमकी दी कि “तुमको उठवा लेंगे और देखते हैं, तुम यह काम कैसे नहीं करते हो।” इस घटना के बाद डीईओ ने तत्काल इसकी सूचना जिलाधिकारी को दी और कार्यालीन पत्र के माध्यम से पूरे मामले की रिपोर्ट भी भेजी।

घटना की गंभीरता को देखते हुए डीईओ अजय कुमार सिंह ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से अनुरोध किया है कि उन्हें तत्काल मुजफ्फरपुर से स्थानांतरित किया जाए और किसी अन्य पद पर पदस्थापित किया जाए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि हाल ही में उन्हें Level-13 स्तर की प्रोन्नति दी गई है।

इस मामले के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या इस घटना की निष्पक्ष जांच होगी? क्या किसी विधायक को सरकारी अधिकारी को धमकाने और गाली देने का अधिकार है? इस मामले में शिक्षा विभाग और सरकार क्या कार्रवाई करेगी? यह देखने योग्य होगा।

इस पूरे विवाद में विधायक अशोक कुमार सिंह की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर से बिहार की नौकरशाही और राजनीति के टकराव को उजागर कर दिया है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या डीईओ को न्याय मिलेगा या नहीं?

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