“JSSC CGL पेपर लीक को लेकर CID के DIG के नेतृत्व में गठित SIT (विशेष जांच टीम) ने इस मामले को प्राथमिकता दी है। SIT अब तक कई साक्ष्यों को इकट्ठा कर चुकी है और पेपर लीक से जुड़े सभी संभावित पहलुओं की गहनता से जांच कर रही है…
रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की संयुक्त स्नातक स्तरीय (CGL) परीक्षा में पेपर लीक का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है। इस गंभीर प्रकरण की जांच की कमान अब CID ने संभाल ली है। CID ने बीते पांच दिनों में 40 से अधिक शिकायतें दर्ज की हैं, जिनमें वाट्सऐप चैट, फोटोग्राफ और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे साक्ष्य शामिल हैं।
जांच की निगरानी स्वयं झारखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता कर रहे हैं। उन्होंने CID को साक्ष्यों का गहन विश्लेषण करने का निर्देश दिया है। इस मामले में रातू थाने में पहले से दर्ज शिकायत को CID ने टेकओवर कर लिया है। इसके अलावा JSSC की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर एक नई एफआईआर भी दर्ज की गई है।
CID को अब तक की जांच में पांच मोबाइल फोन मिले हैं, जिनसे कथित रूप से परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने और वीडियो-ऑडियो रिकॉर्डिंग की गई थी। इन मोबाइल फोनों को फॉरेंसिक लैब (FSL) भेजा जा रहा है। FSL जांच से यह स्पष्ट हो सकेगा कि रिकॉर्डिंग परीक्षा से पहले की गई थी या नहीं।
इसके साथ ही, अभ्यर्थियों द्वारा यह जानकारी दी गई है कि परीक्षा से पूर्व मुजफ्फरपुर, दिल्ली, काठमांडू, आसनसोल और नियामतपुर के कुछ स्थानों पर प्रश्न पत्र लीक हुए थे। इन जगहों पर अभ्यर्थियों को उत्तर याद कराने के लिए बुलाया गया था। SIT इन सभी दावों की भी जांच करेगी।
झारखंड हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए JSSC CGL-2023 परीक्षा के परिणामों की घोषणा पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार, मुख्य सचिव और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे प्राथमिकी दर्ज कर जांच की प्रगति रिपोर्ट अगली सुनवाई में प्रस्तुत करें।
इस पेपर लीक कांड ने JSSC CGL परीक्षा की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अभ्यर्थियों में भारी नाराजगी है और वे निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अब CID की जांच रिपोर्ट और FSL की फाइंडिंग्स से यह तय होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे। झारखंड हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार और जांच एजेंसियों पर पारदर्शिता बनाए रखने का दबाव है।
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