नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के नालंदा जिले के बिहारशरीफ सदर अस्पताल में चिकित्सा में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए पीड़िता अमृता सिंह ने सिविल सर्जन और पांच स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दायर किया है।
पांच महीने से अधिक समय तक न्याय की प्रतीक्षा के बाद जब जिला प्रशासन द्वारा बार-बार की गई जांच में भी कोई ठोस निर्णय नहीं निकला तो अमृता ने अंततः जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया है।
बिहारशरीफ नगर के अलीनगर मोहल्ला निवासी अमृता सिंह ने आरोप लगाया है कि 5 जून, 2024 को सदर अस्पताल में प्रसव के दौरान चिकित्सीय लापरवाही की गई थी। उनके मुताबिक बिना उचित चिकित्सा उपकरणों के जबरन प्रसव कराया गया। जिससे जच्चा और बच्चा दोनों की स्थिति गंभीर हो गई। इस लापरवाही के कारण नवजात को दिल्ली में इलाज कराना पड़ा। जिस पर अब तक 1.70 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं।
पीड़िता ने उपभोक्ता फोरम में 20 लाख 80 हजार रुपये की चिकित्सा लागत का दावा किया है। ताकि जच्चा और उनका बच्चा सही उपचार प्राप्त कर सकें। मामले में सिविल सर्जन, महिला चिकित्सक डॉ. वीणा प्रभा, जीएनएम अंजू कुमारी, रेणुका कुमारी और सुलोचना कुमारी को आरोपित किया गया है।
फोरम में पीड़िता की ओर से अधिवक्ता राजीव रंजन ने संपूर्ण साक्ष्यों के आधार पर बहस की। जिसके बाद फोरम अध्यक्ष आलोक कुमार सिन्हा और सदस्य डॉ. अरुण कुमार ने मामले की सुनवाई का निर्णय लिया।
अमृता सिंह ने सबसे पहले 11 जून को सिविल सर्जन से शिकायत की थी। लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने नालंदा जिलाधिकारी के जनता दरबार में भी गुहार लगाई। जिसके बाद एक तीन सदस्यीय कमेटी ने जांच कर डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को दोषी ठहराया।
इसके बावजूद महिला चिकित्सक ने जिलाधिकारी पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाकर पुनः जांच की मांग की। दोबारा जांच के बाद भी कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकला और पीड़िता को किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली।
उसके बाद मजबूरन पीड़िता ने उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दाखिल किया। इस मामले की सुनवाई 10 दिसंबर को उपभोक्ता फोरम में होगी। जहां पीड़िता को न्याय मिलने की उम्मीद है।
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