ACS सिद्धार्थ बनाम केके पाठक: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार या बेड़ा गर्क?

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को फिर से एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। जहाँ एक ओर अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस सिद्धार्थ ने कुछ बड़े फैसलों के जरिए सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। वहीं उनके पूर्ववर्ती आईएएस केके पाठक ने अपनी कड़ी नीतियों के कारण कई विवादों को जन्म दिया था। लेकिन शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार भी देखने को मिले थे। आइए जानते हैं दोनों आइएएस के फैसलों के तुलनात्मक पहलुओं को और यह समझते हैं कि ये कदम शिक्षा व्यवस्था को कितनी दिशा देते हैं।

केके पाठक की कठोरता या सुधार की दिशा?

डॉ. एस सिद्धार्थ के अहम फैसले:

आखिर शिक्षा व्यवस्था में सुधार या बेड़ा गर्क?

केके पाठक ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार की कोशिश की थी। लेकिन उनकी सख्त नीतियों और कठोर आदेशों ने कई लोगों को असहज किया। वहीं डॉ. एस सिद्धार्थ ने लचीलेपन और समझदारी के साथ बदलाव किए। जिससे शिक्षा विभाग के कार्यकर्ताओं और छात्रों को राहत मिली। उनके कदम छात्रों की उपस्थिति को प्रोत्साहित करने के बजाय उनकी चिंता को कम करता है और कर्मचारियों के लिए एक बेहतर कार्य वातावरण तैयार करता है।

फिलहाल इन दोनों के फैसलों में यह फर्क देखा जा सकता है कि जहाँ एक ओर केके पाठक की नीतियाँ सख्त सुधार की दिशा में थीं। वहीं सिद्धार्थ का दृष्टिकोण अधिक सहानुभूतिपूर्ण और समावेशी रहा है। दोनों के फैसले बिहार की शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन सिद्धार्थ के दृष्टिकोण से विभागीय अफसरों, शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं में अनुशासनहीनता के मामले पुराने ढर्रे पर चल पड़े हैं।

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