Home चाईबासा CM हेमंत की जागी संवेदना, आदेश के बाद BDO पहुंचा असुरा गांव

CM हेमंत की जागी संवेदना, आदेश के बाद BDO पहुंचा असुरा गांव

CM Hemant's sympathy awakened, administration reached Asura village after the order

comcm hemants sympathy awakened administration reached asura village after the order

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के झींकपानी प्रखंड के असुरा गांव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर पांच बेसहारा बच्चों और उनकी बुजुर्ग नानी के जीवन में नई उम्मीद की किरण जगाई गई है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर बच्चों की शिक्षा, राशन और पोषण के साथ-साथ उनकी नानी के लिए पेंशन की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

बता दें कि 24 नवंबर 2024 को असुरा गांव के साहू पूर्ति और दुखी पूर्ति की मृत्यु के बाद उनके पांच छोटे बच्चे बेसहारा हो गए। बच्चों की देखभाल उनकी बुजुर्ग नानी कर रही थीं। लेकिन सामाजिक सुरक्षा पेंशन बंद हो जाने और आधार व जन्म प्रमाणपत्र न होने के कारण परिवार को तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

इस खबर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गंभीरता से संज्ञान लिया और चाईबासा के उपायुक्त को निर्देश दिया कि पीड़ित परिवार को सभी सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए और बच्चों की शिक्षा एवं पोषण की व्यवस्था की जाए।

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) ने असुरा गांव जाकर परिवार से मुलाकात की। जांच में पाया गया कि बच्चों का न तो आधार कार्ड है और न ही जन्म प्रमाणपत्र। एक बच्चा मात्र चार माह का है। उसकी देखभाल उसकी चाची कर रही है।

प्रशासन ने उठाए फौरी कदम-

  • जन्म प्रमाणपत्र और आधार कार्ड: सभी बच्चों के दस्तावेज तैयार करने का कार्य शुरू किया गया।
  • शिक्षा: तीन बच्चों का नामांकन स्थानीय विद्यालय में और एक का आंगनबाड़ी केंद्र में कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।
  • पोषण: चार माह के बच्चे के लिए आंगनबाड़ी केंद्र से पोषक पूरक आहार सुनिश्चित किया गया।
  • पेंशन: बच्चों की नानी की बंद पड़ी पेंशन को पुनः आरंभ करने के लिए आवश्यक कागजात अपडेट किए गए।

वहीं चाईबासा के उपायुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री की पहल के तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बच्चों को उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले।

इस घटना ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संवेदनशील और जिम्मेदार नेतृत्व का प्रमाण दिया है। उनकी इस पहल से न केवल पीड़ित परिवार को राहत मिली है। बल्कि प्रशासन के लिए भी यह एक प्रेरणादायक कदम है। यह कदम झारखंड सरकार के ‘सर्वांगीण विकास और सामाजिक सुरक्षा’ के संकल्प को भी दर्शाता है।

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