प्रशांत किशोर की जाल में बुरी तरह फंसे नीतीश कुमार के ‘चौधरी’

यह विवाद सीएम नीतीश कुमार के लिए भी मुश्किल खड़ा कर रहा है। क्योंकि अशोक चौधरी उनके सबसे करीबी सहयोगियों में शुमार हैं। जेडीयू के ‘चौधरी’ के नाम से मशहूर अशोक चौधरी पर भ्रष्टाचार के ये आरोप पार्टी की छवि को धूमिल कर सकते हैं।
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार की राजनीति में एक बार फिर से घमासान मच गया है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अशोक चौधरी को भेजे गए 100 करोड़ रुपये के मानहानि नोटिस का ऐसा जवाब दिया है, जो न केवल नोटिस को ‘निराधार और राजनीतिक साजिश’ करार देता है, बल्कि चौधरी परिवार की संपत्तियों पर गंभीर सवाल भी खड़े करता है। यह जवाब जन सुराज के वकील के माध्यम से भेजा गया है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि चौधरी ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर कानूनी दांव-पेंच चलाने की कोशिश की है, ताकि जनता के बीच उठ रहे सवालों को दबाया जा सके।
बता दें कि यह विवाद तब भड़का जब प्रशांत किशोर ने हाल ही में अशोक चौधरी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए, जिसमें कहा गया कि चौधरी परिवार ने विभिन्न ट्रस्टों और रिश्तेदारों के नाम पर करोड़ों की संपत्तियां हथियाई हैं। चौधरी ने इन आरोपों को ‘बेबुनियाद और अपमानजनक’ बताते हुए 23 सितंबर को 100 करोड़ का मानहानि नोटिस भेजा था, जिसमें किशोर को सबूत पेश करने की चुनौती दी गई थी। लेकिन किशोर का जवाब न केवल चुनौती स्वीकार करता है, बल्कि चौधरी के दावों को ही उलट देता है।
जवाब पत्र में सबसे बड़ा हमला अशोक चौधरी की बेटी और वर्तमान सांसद शांभवी चौधरी से जुड़े एक पुराने प्लॉट सौदे पर किया गया है। 2021 में योगेंद्र दत्त नामक व्यक्ति को शांभवी द्वारा बेचे गए प्लॉट की डीड (नंबर-2705) में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि 34.14 लाख रुपये चेक, डिमांड ड्राफ्ट और कैश के माध्यम से भुगतान कर दिए गए थे।
किशोर के वकील ने सवाल उठाया कि अब दत्त द्वारा अप्रैल 2025 में मांगे गए 25 लाख रुपये का आधार क्या है? उस समय शांभवी की उम्र मात्र 23 वर्ष थी और वह किसी पेशे में संलग्न नहीं थीं। जून 2024 में सांसद बनने के बाद भी उनकी आय इतनी नहीं थी कि यह भुगतान उनकी व्यक्तिगत कमाई से हो सके। यह रकम किस चेक या ड्राफ्ट से दी गई? इसका कोई रिकॉर्ड क्यों नहीं? जवाब पत्र में ऐसे कई सवालों की बौछार है।
जवाब में चौधरी परिवार की कई अन्य संपत्तियों का ब्योरा दिया गया है, जो कथित तौर पर पत्नी, बेटी शांभवी, दामाद और संबंधित ट्रस्टों के नाम पर खरीदी गईं। इन सौदों में भुगतान के तरीके और घोषित मूल्य में गंभीर विसंगतियां बताई गई हैं। कई मामलों में बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर रजिस्ट्री कराई गई, जो स्थानीय स्रोतों और सार्वजनिक दस्तावेजों से साबित होती हैं।
जन सुराज पार्टी के प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने कहा है कि हमारा जवाब विस्तृत दस्तावेजों और सार्वजनिक रिकॉर्ड्स पर आधारित है। चौधरी साहब ने सच्चाई को छिपाने की कोशिश की, लेकिन अब सब सामने आ रहा है। ये सभी संपत्तियां वास्तव में अशोक चौधरी की ही हैं, जो परिवार और ट्रस्टों के नाम पर ‘बचाई’ गई हैं। इन संपत्तियों का कुल मूल्य सैकड़ों करोड़ रुपये है, जो एक मंत्री की आधिकारिक आय से कहीं अधिक है।
विवाद को और तीखा करने वाली जन सुराज की माइक्रोब्लॉगिंग साइट X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट ने आग में घी डाल दिया है। पार्टी ने लिखा है, ‘सिर्फ 4 महीनों में अशोक चौधरी की बेटी की शादी तय होने के बाद मानव वैभव विकास ट्रस्ट ने कुल 42 करोड़ रुपये की 6 संपत्तियां खरीदीं। कृष्णापुरी में 5.5 करोड़, रूपसपुर में 3.43 करोड़ + 8.9 करोड़, मैनपुरा में 7.2 करोड़, पटेलपुरी में 2.05 करोड़ + 15.5 करोड़। आखिर ऐसा क्या हुआ कि शादी की खुशियां मनाते-मनाते ट्रस्ट ने अचानक इतनी महंगी डीलें क्यों शुरू कर दीं?’ यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है और हजारों यूजर्स ने इसे रीट्वीट करते हुए बिहार सरकार पर सवाल उठाए हैं।
श्री कुमार ने एक्सपर्ट मीडिया न्यूज से बातचीत में कहा कि यह संयोग नहीं, सुनियोजित योजना है। शादी जैसे खुशी के मौके पर ट्रस्ट सक्रिय हो गया, जो चौधरी साहब के इशारों पर चलता है। जनता अब जाग चुकी है और 2025 के विधानसभा चुनावों में ये सवाल नीतीश सरकार की परीक्षा लेंगे। दूसरी ओर अशोक चौधरी के करीबी सूत्रों का कहना है कि ये आरोप ‘राजनीतिक बदले की भावना’ से प्रेरित हैं और वे कोर्ट में हर सबूत का जवाब देंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशांत किशोर की यह रणनीति बिहार की सियासत को नया मोड़ देगी, खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। क्या यह नोटिस-जवाब का दौर कोर्ट तक पहुंचेगा या राजनीतिक सुलह हो जाएगी? सवालों का सिलसिला जारी है, और बिहार की जनता गौर से देख रही है।