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    Friday, January 10, 2025
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      ऑपरेशन क्लीनअपः बिहार में राशन कार्ड से हटाए गए 1.20 करोड़ फर्जी लाभुक

      ऑपरेशन क्लीनअप ने न केवल बिहार में राशन वितरण व्यवस्था को सुधारने में मदद की, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि सरकारी योजनाओं का लाभ केवल सही पात्रों तक ही पहुंचे

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए तीन से चार साल तक चले ‘ऑपरेशन क्लीनअप’ के तहत 1.20 करोड़ से अधिक फर्जी राशन कार्डधारकों के नाम हटा दिए हैं। यह पहल राज्य में राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने और वास्तविक जरूरतमंदों तक सरकारी सहायता पहुँचाने के उद्देश्य से की गई। खाद्य विभाग ने इन नामों को हटाने से पहले विधि सम्मत जांच, सत्यापन और नोटिस की प्रक्रिया को पूरा किया।

      फर्जी लाभुकों के नाम हटाने के दौरान विभाग ने कई चौंकाने वाले मामलों का खुलासा किया। हटाए गए लाभुकों में से लाखों लोग राशन कार्ड में अल्फा, एट द रेट जैसे स्पेशल कैरेक्टर का उपयोग कर रहे थे। इसके अलावा ऐसे भी लाभार्थी पाए गए। जिन्होंने एक ही राशन कार्ड पर कई बार अपना नाम दर्ज करवाया था।

      कुछ लाभार्थी द्वारा पिछले दो साल से भी अधिक समय से राशन नहीं उठाया था। इन लाभार्थियों के नाम भी सूची से हटा दिए गए। साथ ही कुछ राशन कार्ड धारक ऐसे थे, जिनके नाम पहले कुछ और थे। लेकिन बाद में केवाईसी प्रक्रिया के दौरान उनके नाम बदल दिए गए थे।

      सबसे गंभीर मामला उन लाभार्थियों का था, जिन्होंने बार-बार नोटिस के बावजूद भी अपने राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं कराया था। इन कारणों के चलते विभाग ने इस अभियान को गति दी। ताकि वास्तविक और पात्र लाभार्थियों तक ही राशन पहुँचे।

      इस पूरे अभियान में फर्जी लाभुकों के नाम हटाने के साथ-साथ 56.52 लाख नए पात्र लाभार्थियों को भी जोड़ा गया। विभाग ने अपात्रों के नाम हटाकर इस प्रणाली को अधिक पारदर्शी और उचित बनाया। उदाहरण के तौर पर अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक 23.38 लाख और अक्टूबर 2020 से दिसंबर 2024 तक 33.14 लाख नए लाभार्थियों को राशन योजना का हिस्सा बनाया गया है।

      कितने लाभुक किस कारण हटाए गए?

      55 लाख: जिनके राशन कार्ड में आधार सीडिंग नहीं हुई थी।

      21 लाख: वे लाभार्थी जो दो साल से अधिक समय से राशन नहीं उठा रहे थे।

      8.06 लाख: नाम का दोहराव और स्पेशल कैरेक्टर का उपयोग करने वाले लाभार्थी।

      25 लाख: जिन्होंने केवाईसी कराने के बाद नाम बदलवाए थे।

      7.17 लाख: वे लाभार्थी जिन्होंने बिहार और अन्य राज्यों में दो जगह राशन कार्ड बनवाए थे।

      4.25 लाख: ऐसे राशन कार्ड जिनमें 20 या उससे अधिक लाभार्थी थे।

      वेशक ‘ऑपरेशन क्लीनअप’ ने न केवल बिहार में राशन वितरण व्यवस्था को सुधारने में मदद की है, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि सरकारी योजनाओं का लाभ केवल सही पात्रों तक ही पहुंचे। यह कदम बिहार के राशन वितरण प्रणाली को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

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