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झारखंड पुलिस के गले की हड्डी कुख्यात गैंगस्टर मुठभेड़ में ढेर, जानें कौन था अमन साव

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Notorious gangster, a thorn in the side of Jharkhand police, killed in encounter, know who was Aman Sao

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द बना कुख्यात गैंगस्टर अमन साव मारा गया। छत्तीसगढ़ के रायपुर जेल से झारखंड लाते समय पलामू के अन्हारी ढ़ोढ़ा घाटी में पुलिस मुठभेड़ में वह ढेर हो गया। पुलिस इस घटना को अपराध जगत के एक काले अध्याय के अंत के रूप में देख रही है।

पलामू एसपी ऋष्मा रमेशन के मुताबिक अमन साव को एनआईए के एक मामले में एटीएस की टीम रायपुर जेल से ला रही थी। जैसे ही स्कॉर्पियो गाड़ी चैनपुर-रामगढ़ रोड के अन्हारी ढ़ोढ़ा घाटी पहुंची, तभी अमन साव के गुर्गों ने उसे छुड़ाने के लिए गाड़ी पर बम से हमला कर दिया।

यह घटना आज सुबह 9:15 बजे हुई। एसपी ने बताया कि हमले के बाद अमन साव ने हवलदार राकेश कुमार की राइफल छीनकर फायरिंग करने की कोशिश की। इसी दौरान पुलिस की जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया गया। मुठभेड़ में हवलदार की जांघ में गोली लगी, जिनका इलाज एमएमसीएच पलामू में चल रहा है।

कौन था अमन साव? झारखंड पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने अमन साव का आतंक झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा तक फैला हुआ था। वह कोयला व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, ठेकेदार, रियल एस्टेट कारोबारी और बिल्डरों से रंगदारी वसूलता था। जो उसकी बात नहीं मानते थे, उन पर खुलेआम फायरिंग करवा देता था। वारदात को अंजाम देने के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसकी जिम्मेदारी भी लेता था।

कैसे बना अपराध की दुनिया का बड़ा नाम? महज 18 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाला अमन साव रांची जिले के मतवे, बुढ़मू गांव का रहने वाला था। उसके परिवार में माता-पिता, एक बड़ा भाई और एक बहन है। 2010 में उसने मैट्रिक की परीक्षा 78% अंकों के साथ पास की थी। 2012 में पंजाब के मोहाली से इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किया। इसके बाद वह मोबाइल रिपेयरिंग का काम करने लगा।

2013 में उसने खुद का एक गैंग बना लिया और 2015 में पहली बार जेल गया, जहां उसकी दोस्ती कुख्यात अपराधियों सुजीत सिन्हा और मयंक सिंह से हुई। यहीं से उसने उग्रवादी संगठनों और अन्य आपराधिक गिरोहों से संपर्क बढ़ाया।

कई उग्रवादी संगठनों से था कनेक्शनः अमन साव उग्रवादी संगठन टीपीसी के साथ-साथ झारखंड जन मुक्ति मोर्चा, पीएलएफआई और झांगुर ग्रुप के संपर्क में भी था। वह पलामू के टीपीसी कमांडर राजन जी उर्फ मुन्ना, उमेश यादव, रमेश यादव, मनोज सिंह, आशीष कुजूर और बिराज जी उर्फ राकेश गंझू के संपर्क में था। धीरे-धीरे उसने अपना नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला लिया। कनाडा और मलेशिया से वह अपने गिरोह का संचालन करता था।

सोशल मीडिया पर भी था आतंकः अमन साव सोशल मीडिया का भी बखूबी इस्तेमाल करता था। बताया जाता है कि उसका फेसबुक अकाउंट ‘अमन सिंह’ नामक व्यक्ति कनाडा से हैंडल करता था। वहीं, मलेशिया से ‘सुनील राणा’ नामक शख्स इस गिरोह के डिजिटल ऑपरेशन को देखता था। राजस्थान का रहने वाला सुनील मीणा, लॉरेंस बिश्नोई का करीबी बताया जाता है और वह अजरबैजान पुलिस की गिरफ्त में है। इसे ही लॉरेंस और अमन के बीच की कड़ी माना जाता है।

150 से ज्यादा अपराधों में था नामः अमन साव के खिलाफ 150 से ज्यादा मामले दर्ज थे। पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, अमन ने कई हत्याएं, अपहरण, रंगदारी और लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया था। वह अपने अपराधों को हाई-टेक तरीके से अंजाम देता था और डिजिटल मीडिया के माध्यम से पुलिस को खुलेआम चुनौती देता था।

अब अमन साव के खात्मे को लेकर पुलिस का क्या कहना है? एसपी ऋष्मा रमेशन  के अनुसार यह पुलिस के लिए बड़ी सफलता है। इससे झारखंड में संगठित अपराध को कड़ा झटका लगेगा। अमन साव की मौत के बाद झारखंड पुलिस राहत की सांस ले रही है, लेकिन सवाल यह भी है कि उसके गैंग का अगला सरगना कौन बनेगा? क्या यह अध्याय यहीं खत्म होगा या अपराध की दुनिया से फिर कोई नया नाम उभर कर आएगा?

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