एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। इन दिनों आसन्न लोकसभा चुनाव में पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार और उप मुखिया तेजस्वी यादव हर जगह चुनावी भाषण मे नौकरी पर बात कर रहे हैं। यह अच्छी बात है। इसके लिए वे दोनों धन्यवाद के पात्र हैं।
राजद नेता तेजस्वी यादव बकौल पूर्व मुख्यमंत्री, हर जगह भाषण में बोल रहे हैं कि उन्होंने 17 महीने की सरकार में 5 लाख नौकरी दिया और 3 लाख प्रक्रियाधीन थी। हालांकि यह दीगर बात है कि 17 महीने में 5 लाख सीटों पर तो वैकेंसी भी नही आयी तो फिर उन्होंने 5 लाख को नौकरी कैसे दे दिए? अधिक से अधिक ढाई लाख बोलेंगे, तो चल सकता है।
वहीं युवाओं को रोजगार-नौकरी के नाम पर 17 सालों तक सोए रहे जदयू नेता बकौल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी 5 लाख नौकरी देने पर एकाधिकार प्रकट कर रहे हैं। उन्हें किसी भी सूरत में अपने कार्यकाल का क्रेडिट किसी दूसरे नेता या दल को स्वीकार्य नहीं है।
हालांकि जब शराबबंदी जैसे अदूरदर्शी निर्णय के दुष्परिणामों की बात आती है तो वे सर्वदलीय निर्णय पर ठिकरा फोड़ते हैं। जबकि उन्होंने कभी भी खुद के दल की बहुमत की सरकार नहीं चलाई है। उन्होंने कुर्सी पर बने रहने के लिए भाजपा और राजद दोनों दलों की कृपा ली है।
बहरहाल, BPSC TRE-1 और TRE-2 में भारी गड़बड़ी, अनियमितता, धांधली, सेटिंग की बातें खुलकर सामने आयी है। इस पर न चाचा नीतीश कुमार कुछ भी बोलने की स्थिति में हैं औऱ न ही उनका विरोधी भतीजा तेजस्वी यादव। इस मुद्दे पर दोनों के मुंह में दही जम गया है।
जबकि, चाचा और भतीजा द्वय को शिक्षक भर्ती मे भी कितने बेरोजगार बिहारी युवाओं को नौकरी मिली? कितने बाहरी को नौकरी मिली? कितने नियोजित शिक्षकों जो पहले से ही नौकरी मे थे, उनका चयन इसी बहाली मे हुआ ? 2019 से ही 3 लाख शिक्षकों के पद खाली थे, लेकिन अभी तक 3 लाख शिक्षकों की नियुक्ति नही हुई है। कौन-सी 3 लाख वैकेंसी प्रक्रियाधीन है? वेशक नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को ये भी बताना चाहिए।
अभी देखा जाए तो 21 हजार सिपाही, 13 हजार BSSC द्वितीय इंटर स्तरीय और कुछ अन्य को मिलाकर लगभग 50 हजार ही प्रक्रियाधीन है। इन्हीं दोनों की सरकार के समय सिपाही पेपरलीक, BSSC CGL-3 पेपरलीक, LRC अमीन बहाली पेपरलीक, फूड कॉरपोरेशन पेपरलीक, STET पेपरलीक हुआ है। इस पर दोनों चाचा-भतीजा चुप हैं।
बिहार मे किसी भी गठबंधन की सरकार रही हो। पेपरलीक, धांधली सेटिंग होता रहा है और शिक्षा माफियाओं को बचाया जाता रहा है। नौकरी-रोजगार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 मे वादा किया था कि हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे लेकिन उन्होंने कोई वादा पूरा नहीं किया। उल्टे उन्होंने बेरोजगार युवाओं को पकौड़े तलने की बात तक कह डाली।
वहीं रेलवे, बैंकिंग एवं अन्य क्षेत्रों में पहले से जो समय पर वैकेंसी आती थी, उसमें भी कमी कर दी। आर्मी में अग्निवीर योजना लाकर देश के युवाओं को 22 साल में बेरोजगार बनाने का खेल खेला गया। भाजपा ने 2020 बिहार विधान सभा चुनाव में यह वादा किया था कि 19 लाख रोजगार देंगे, लेकिन अभी तक वादा पूरा नहीं किया गया।
बिहार में किसी भी पार्टी या गठबंधन की सरकार हो, हर बहाली में पेपरलीक एवं धांधली सेटिंग का खेल चलता रहा है। कोई भी सरकार, पार्टी या नेता पेपरलीक एवं धांधली सेटिंग के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहते। बोलना तो दूर वे इस पर अपनी आँख तक मटकाना नहीं चाहते।
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