अन्य
    Friday, April 26, 2024
    अन्य

      सरायकेला डीसी के झूठ की वजह से हुई हेमंत सरकार की किरकिरी

      सरायकेला (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। एक तरफ झारखंड के मुख्यमंत्री वैश्विक संकट के इस दौर में झारखंडियों और प्रवासी मजदूरों के मामले में मसीहा बनकर उभर रहे हैं तो दूसरी तरफ झारखंड सरकार के अधिकारी मुख्यमंत्री के छवि पर बदनुमा दाग लगाने से नहीं चूक रहे।

      saraikela dc exposed hemant gov 3 1हम बात कर रहे हैं सरायकेला खरसावां जिले के उपायुक्त ए दोड्डे की। जिनकी वजह से झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री की किरकिरी हो रही है।

      बता दें कि लॉक डाउन की वजह से जिले में करीब डेढ़ सौ प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर और बाराबंकी जिले के फंसे हुए थे। जिन्हें उनके राज्यों में भेजने की व्यवस्था की जिम्मेदारी सरायकेला खरसावां जिले के उपायुक्त पर थी।

      लेकिन जिले के उपायुक्त ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने तीन बसों में मजदूरों को ठूंसवाकर कर सीमित मात्रा में गाड़ियों में तेल भरवाकर अपने राज्य से बाहर भेजने की साजिश रची।

      जहां सभी गाड़ियां मजदूरों को लेकर जैसे ही रामगढ़ पहुंची की गाड़ियों के चालक ने गाड़ी में तेल नहीं होने का हवाला देते हुए गाड़ियां खड़ी कर दी। यहां तक कि मजदूरों के पास खाने तक के पैसे नहीं थे।

      वैसे एक शिक्षक के पास कुछ पैसे थे जिससे मजदूरों को खाना खिलाया गया। घंटों मजदूर इस उम्मीद में रामगढ़ में फंसे रहे कि कहीं से कोई राहत का पैगाम पहुंचेगा।

      मीडिया की सुर्खियां के बाद आनन-फानन में जिले के उपायुक्त ने दस हजार रुपए भिजवाए, जिसके बाद मजदूरों को लेकर बसें अपने गंतव्य की ओर बढ़ी।

      हालांकि इस संबंध में जानकारी मिलने के बाद जमशेदपुर के बहरागोड़ा के पूर्व विधायक और भाजपा नेता डॉ कुणाल षाड़ंगी ने ट्वीट कर मामले पर संज्ञान लेने की अपील की।

      जिस पर बाराबंकी के डीएम ने रीट्वीट कर कहा कि जिले के उपायुक्त को पर्याप्त मात्रा में पैसे उपलब्ध करा दिए गए हैं।

      ऐसे में पैसों की कमी होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इन सबके बीच जिले के उपायुक्त विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने जिले के उपायुक्त की कार्यशैली पर कड़ी आपत्ति जताई है।

      वहीं सरायकेला उपायुक्त के ट्वीट कर खबर को झूठा बताया। वैसे जिले के उपायुक्त को आश्वस्त करना चाहते हैं, कि हमारे पास उनके झूठ से संबंधित पर्याप्त मात्रा में साक्ष्य उपलब्ध हैं।

      साथ ही झारखंड सरकार को आगाह करते हैं, कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ जांच कर सख्त से सख्त कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।

      वैश्विक संकट के इस दौर में ऐसे सनकी अधिकारी की वजह से बेगुनाह पत्रकार जेल भेजा गया है। जहां इस अधिकारी ने जिले में पॉजिटिव मरीज पाए जाने के बाद भी मीडिया से सच छुपाने की कोशिश की है।

      राज्य सरकार और राज्य के मुख्यमंत्री लगातार वैश्विक संकट के इस दौर में बेहतर कार्यों के लिए पूरे देश में जाने जा रहे हैं, लेकिन ऐसे अधिकारी अपनी सनक के कारण सरकार की किरकिरी करने से भी नहीं चूक रहे हैं।

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!