पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। समूचे बिहार प्रदेश में इस साल लगभग 30 लाख एमटी धान की खरीद हुई है। इसमें 51 फीसदी धान गैर रैयतों से खरीदी गयी है। वहीं शेष रैयती किसानों से खरीद की गयी है। यह ट्रेंड पिछले तीन वर्षों से चल रहा था। सभी जिलों में रैयतों से अधिक गैर रैयतों से धान की खरीद हो रही है।
बिहार सहकारिता विभाग ने इस पर संज्ञान लेते हुए रैयतों से अधिक गैर रैयत किसान क्यों धान बेच रहे हैं, इस पर विभाग ने एहतियाती तौर पर जांच शुरू कर दी है। इस कड़ी में जांच रिपोर्ट मांगी गयी थी।
जांच में लापरवाही बरतने पर सूबे के सभी जिला सहकारिता पदाधिकारियों को शोकॉज किया गया है। साथ ही प्रबंधकीय अनुदान वितरित नहीं करने और समय पर विभागीय कार्यों पूरा नहीं करने पर भी जवाब मांगा गया है।
बता दें कि रैयती किसानों को धान बेचने के लिए खाता और खेसरा नंबर देना होता है। इसे पैक्स अपनी रजिस्टर में दर्ज करते हैं। वहीं गैर रैयत में खाता और खेसरा नंबर नहीं देना होता है।
दूसरे के खेत में बटाईदार किसान के तौर पर खेती करने का दावा कर गैर रैयत श्रेणी में धान बेची जाती है। इसके लिए किसान सलाहकार से सिर्फ बटाईदार किसान की शिनाख्त करानी पड़ती है।
विभाग को शक है कि सभी जिलों में बाहर से धान लाकर गैर रैयत के नाम पर धान बेचा गया है। कम दाम में धान खरीदी गयी होगी और उसे अधिक सरकारी दर पर बेचा गया है।
गया की रिपोर्ट से गहराया आशंका: गैर रैयतों से धान खरीद के मामले में गया जिले की ओर से जांच रिपोर्ट भेज दी गयी है। मुख्यालय के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट की समीक्षा की। इस रिपोर्ट को काफी सतही पाया गया। इसके बाद गया जिला के जिला सहकारिता पदाधिकारी को सतही रिपोर्ट देने के आरोप में फिर से शोकॉज किया गया है।
ढाई लाख अधिक गैर रैयतों के आये आवेदनः एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023-24 में 3 लाख 3 हजार 776 रैयत और 3 लाख 42 हजार 224 गैर रैयतों ने धान की बिक्री के लिए आवेदन किया था।
वहीं, वर्ष 2022-23 में 3 लाख 62 हजार 365 रैयतों और 5 लाख 56 हजार 465 गैर रैयतों ने धान बेचने के लिए आवेदन किया। इसके अगले साल वर्ष 2020-21 में 3 लाख 76 हजार 043 रैयत और 6 लाख 4 हजार 581 गैर रैयतों ने धान बिक्री के लिए आवेदन किया था।