आसानबनी कलाडुंरी में धूमधाम से मना झारखंडी देश करम अखाड़ा

सरायकेला प्रशासन द्वारा झारखंडी देश करम अखाड़ा आयोजन स्थल पर पुख्ता व्यवस्था की गई थी। सुरक्षा के लिए पूरे देश करम मैदान परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, जिससे कार्यक्रम निर्बाध रूप से संपन्न हुआ…
सरायकेला (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत आसानबनी कलाडुंरी में झारखंडी देश करम अखाड़ा का आयोजन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर हजारों की संख्या में झारखंड, उड़ीसा, बिहार और बंगाल सहित आसपास के क्षेत्रों से दर्शकगण पहुंचे, जिन्होंने इस सांस्कृतिक उत्सव का आनंद उठाया। कार्यक्रम में सभी ने अपनी भाषा और संस्कृति के संरक्षण का संकल्प लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत 101 कन्याओं द्वारा गाजे-बाजे के साथ पारंपरिक नृत्य करते हुए करम डाल को अखाड़ा स्थल पर लाने के साथ हुई। करम डाल को विधि-विधान के साथ स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई। बहनों ने अपने भाइयों की सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखा और प्रार्थना की। पूजा के पश्चात पुजारी ने करम पूजा की पौराणिक कथा सुनाई, जिसने उपस्थित लोगों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ा।
मांदर की थाप और झूमर गीतों की मधुर स्वर लहरियों ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। आसपास के गांवों के करम दलों ने एक से बढ़कर एक झूमर गीत प्रस्तुत किए, जिसने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। यह सांस्कृतिक प्रस्तुति झारखंड की समृद्ध लोक परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन थी।
कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथियों और समाजसेवियों ने शिरकत की। इस अवसर पर समाजसेवी विजय प्रताप महतो ने बताया कि झारखंड के कुड़मी और आदिवासी समुदाय करम पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। करम राजा हमें धन-समृद्धि और सुख-शांति प्रदान करते हैं। आज हमारी संस्कृति और विरासत को बचाने की चुनौती है। इस तरह के आयोजन हमारी विलुप्त हो रही संस्कृति को जीवित रखने में मदद करते हैं। उन्होंने कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने और समाज के उत्थान के लिए एकजुटता पर बल दिया।
समाजसेवी प्रभात रंजन ने कहा कि करम पर्व झारखंड की सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। यह प्रकृति पूजा का पर्व है, जो हमारी पहचान को दर्शाता है। अन्य अतिथियों ने भी सामाजिक एकता और नशे से दूर रहने की अपील की, ताकि समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सके।
इस देश करम अखाड़ा के सफल आयोजन में हीरालाल महतो, प्रभात रंजन महतो, आदित्य प्रताप महतो, शंकर महतो, हराधन महतो, विजय प्रताप महतो, रघुनाथ महतो, रामधन महतो, करण महतो, लक्ष्मण महतो, प्रकाश महतो, आकाश महतो, नरेश महतो, मनोज महतो, रतनलाल महतो, टंकधर महतो, महेश्वर महतो, रंगलाल महतो, जयचंद महतो, कनिष्ठ कुमार महतो, शिवचरण महतो, अनू महतो, लव किशोर महतो, दिनेश महतो, जीवन स्वर महतो, सुखदेव महतो सहित अखाड़ा के सभी सदस्यों और ग्रामवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इस अवसर पर सभी ने एक स्वर में अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखने का संकल्प लिया। यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव था, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक जागरूकता का एक मंच भी साबित हुआ।