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    Monday, December 23, 2024
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      कौन है झारखंड में 5000 करोड़ के गुटखा सिंडीकेट का सरगना, जिसने शिखर के मालिक को बचाने के लिए की 10 करोड़ की डील?

      झारखंड की राजधानी रांची से गुटखा कारोबार से जुड़े प्रसारित खबरों ने सूबे को जकड़े गुटखा सिंडिंकेट को लेकर कई खुलासे किए है। साथ ही ऐसे सवाल उठाए हैं, जिसमें पूरा नियंत्रण तंत्र कटघरे में नंगा खड़ा नजर आ रहा है, क्योंकि झारखंड में गुटखा और अन्य तंबाकू युक्त पदार्थों पर प्रतिबंध लागू है। बीते 26 नवंबर 2022 को डीजीपी नीरज सिन्हा ने सीआईडी जांच के आदेश दिए। उन्होंने सीआईडी आईजी को सभी मामलों की जांच कर रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को सौंपने का आदेश दिया। इससे प्रदेश में इस समय यह मामला काफी गर्म चल रहा है....

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। खबर है कि गुटखा सिंडीकेट के सरगना राजेश कुमार सहित अन्य आरोपियों को बचाया जा रहा है। पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के आवेदन में नाम होने के बावजूद नामजद नहीं करती। चार्जशीट कमजोर कर देती है, ताकि बड़ी मछलियों को बचाया जा सके।

      वेबसाइट ने आगे लिखा है कि एक गुटखा कंपनी के मालिक को गिरफ्तारी से बचाने के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह फूंके जाते हैं। उसे बेल दिलाने के लिए कथित रूप से पांच करोड़ की डील होने का एक ऑडियो वायरल होता है।

      डीजीपी कार्यालय से सीआइडी को सुखदेवनगर थाना में दर्ज गुटखा कांड से मुख्य आरोपियों को बरी करने के आरोप की समीक्षा कर रिपोर्ट देने को कहा जाता है। मगर सात महीने बाद तक इसका कोई नतीजा हाथ नहीं लगता। गुटखा कारोबारियों के खिलाफ रांची के अरगोड़ा और सुखदेवनगर थाना में मुकदमा दर्ज होने के बावजूद कानून के लंबे हाथों में छोटी मछलियों के अलावा कुछ नहीं लगता।

      3 जुलाई 2020 को छापामारी के बाद हुई थी प्राथमिकीः 3 जुलाई 2020 को रांची के खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी डॉ सिंगराय सलीब कुल्लू ने रांची के सुखदेव नगर थाना अरगोड़ा थाना में दो अलग-अलग मामला दर्ज कराया। इसमें स्थानीय सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के गुटखा विक्रेता ओम पूजा स्टोर के संचालक भोला चौधरी और अरगोड़ा थाना क्षेत्र के हरमू के मकान संख्या एचआई/26 से गुटखा, पान मसाला, जर्दा और तंबाकू उत्पादों की बरामदगी का जिक्र था।

      सुखदेव नगर थाना में दर्ज मामले में एफआइआर में जिनका नाम दिया गया है, उनमें बहार, विमल, रजनीगंधा, पान पराग जैसी पान मसाला कंपनियों के वितरकों और निर्माताओं का नाम भी शामिल है। इनमें बहार गुटखा के निर्माता नीलकमल जैन और वितरक संतोष चौरसिया, विमल पान मसाला के निर्माता धरमाजी दीनी औऱ वितरक पिंटू तेनाली, रजनीगंधा पान मसाला के निर्माता रजनीश कुमार वितरक जेपी सिंघानिया, पान पराग के निर्माता दीपक कोठारी और वितरक राजेश मोट को नामजद किया गया।

      जबकि अरगोड़ा थाना में दर्ज प्राथमिकी संख्या 186/20 में शिखर पान मसाला के वितरक पिंटू कुमार, निर्माता प्रदीप अग्रवाल तथा रजनीगंधा पान मसाला के निदशक राजेश कुमार, राजीव कुमार, रजनीश कुमार, रवींद्र कुमार आदि को नामजद किया गया।

      पुलिस ने बड़े कारोबारियों को छोड़ा, शिखर गुटखा के मालिक के लिए 10 करोड़ बहाये गयेः आरोप है कि सुखदेवनगर थाना की पुलिस ने इस मामले में जो प्राथमिकी दर्ज की, उसमें उसमें उसने बड़े गुटखा कारोबारियों को छोड़ दिया। पान मसाला और तंबाकू पर प्रतिबंध होने के बावजूद इन उत्पादों को भेजनेवाले रजनीगंधा पान मसाला बनाने वाली कंपनी डीएस ग्रुप के निदेशक रजनीश कुमार और वितरक जेपी सिंघानिया समेत किसी निर्माता या वितरक को प्राथमिकी अभियुक्त नहीं बनाया न ही चार्जशीट में उनका जिक्र किया।

      इसी तरह अरगोड़ा थाना में दर्ज मामले में प्राथमिकी में शिखर पान मसाला के निर्माता प्रदीप अग्रवाल और विक्रता पिंटू कुमार को नामजद किया गया। पुलिस ने प्रदीप अग्रवाल की गिरफ्तारी के लिए वारंट लिया। प्रदीप अग्रवाल को गिरफ्तार करने के लिए अरगोड़ा थाना की टीम दिल्ली/नोएडा गयी। प्रदीप अग्रवाल पुलिस के हाथ नहीं लगे।

      इसके बाद मामले को मैनेज करने का प्रयास शुरू हुआ। इसकी कमान संभाली रजनीगंधा बनानेवाली कंपनी डीएस ग्रुप के निदेशक राजेश कुमार ने। चर्चा है कि प्रदीप अग्रवाल को गिरफ्तारी से बचाने और उन्हें कानूनी राहत दिलाने के लिए 10 करोड़ रुपये सिंडीकेट ने बहाये।

      शिखर गुटखा कंपनी के मालिक प्रदीप अग्रवाल को राहत दिलाने के लिए अमित मलिक नामक के दलाल और रजनीगंधा के निदेशक राजेश कुमार के बीच की बातचीत में पांच करोड़ रुपये का जिक्र है। इस वीडियो की पुष्टि हम नहीं करते हैं।

      हर साल मैनेज करने में 150 करोड़ रुपये खर्च करता है गुटखा सिंडीकेटः पान मसाला कारोबार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि राजेश कुमार ही वह शख्स है जो झारखंड में सभी गुटका, पान मसाला और जर्दा कंपनियों का माल खपाने और मैनेज करने का काम करता है।

      सूत्रों के अनुसार रांची के अपर बाजार के जेपी सिंघानिया जो रजनीगंधा के वितरक हैं, उनके मुख्य सहयोगी है। झारखंड के सभी जिलों में प्रतिबंधित माल बेखटके पहुंच जाये, इसके लिए पुलिस-प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग और राजधानी रांची में बैठे वैसे लोगों को यह सिंडीकेट मैनेज करता है।

      सूत्रों के अनुसार सालाना मैनेज करने के इस काम में कम से 150 करोड़ रुपये खर्च किये जाते हैं। हालांकि अवैध रूप से गुटखा खपाने में निर्माताओं को जीएसटी में जो सैकड़ों करोड़ की बचत होती है, उसके मुकाबले 150 करोड़ रुपया चिल्लर के बराबर है।

      संस्था की शिकायत और सांसद की चिट्ठी, पर सीआइडी को करनी थी समीक्षाः जब गुटखा निर्माताओं और वितरकों का मामला मैनेज हो गया, तो आदिवासी जनकल्याण परिषद नामक एक संस्था ने सुखदेवनगर थाना में दर्ज कांड संख्या 308/2020 के मामले में झारखंड के पुलिस महानिदेशक और राज्यसभा सांसद समीर उरांव को पत्र लिखकर शिकायत की।

      इस पत्र के आधार पर सांसद समीर उरांव ने मामले की सीआइडी जांच कराने के लिए 19 जनवरी को तत्कालीन डीजीपी एमवी राव को एक पत्र लिखा। इधर आदिवासी जन कल्याण परिषद के पत्र के आलोक में आइजी हेडक्वार्टर ने सीआइडी के एडीजी को पत्र (740) लिखकर कहा कि – उक्त पत्र गुटखा व्यापारियों को सुखदेव नगर थाना द्वारा वर्ष 2020 में दर्ज कांड संख्या 308/20 में लाभ पहुंचा कर रजनीगंधा कंपनी के निर्माणकर्ता तथा वितरक को बरी करने एवं जांच में घोर लापरवाही होने के कारण इसकी जांच सीईडी से कराने का अनुरोध किया गया है। आईजी ने इस कांड की समीक्षा कर समीक्षात्मक प्रतिवेदन पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध करायें।

      झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी एक हजार करोड़ रुपये के खनन घोटाला के मामले की जांच कर रहा है। ईडी ने जो आरोप पत्र दायर किया है, उसके मुताबिक साहेबगंज में पत्थर के अवैध खनन औऱ बिना चालान-परमिट के ढुलाई कर करीब एक हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला किया गया है।

      लेकिन क्या आप जानते हैं कि झारखंड में हर साल 5000 करोड़ रुपये का अवैध गुटखा, तंबाकू और पान मसाला खपा दिया जाता है। अवैध इसलिए क्योंकि झारखंड में गुटखा, पान मसाला और तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बाद भी न सिर्फ इनकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है, बल्कि सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना भी लग रहा है।

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