पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत इस वित्तीय वर्ष में रोजगार देने की स्थिति स्पष्ट रूप से बदलती दिख रही है। अब तक 42 लाख 69 हजार परिवारों को इस योजना के तहत काम मिला है, लेकिन सौ दिन का रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या में गिरावट आई है।
बीते वित्तीय वर्ष 2023-24 में 33,657 परिवारों को सौ दिन काम मिला था। जबकि इस साल यह संख्या घटकर 19,633 रह गई है। औसतन हर परिवार को 43.74 दिन का काम मिला है। यह पिछले वर्ष के 45.77 दिनों से कम है। इससे प्रति परिवार रोजगार में दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
महिलाओं की भागीदारी में हालांकि सुधार देखा गया है। इस वर्ष अब तक कुल काम में 54.84 फीसदी महिलाएं शामिल रही हैं, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 0.57 फीसदी अधिक है। फिर भी बिहार में महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत (57.97 फीसदी) से कम है। इस वर्ष एससी-एसटी वर्ग के 21.64 फीसदी लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार मिला है। यह आंकड़ा उनकी बढ़ती भागीदारी की ओर संकेत करता है।
बिहार में प्रति परिवार औसतन 43.74 दिन का रोजगार मिला है, जो राष्ट्रीय औसत 43.56 दिनों से थोड़ा बेहतर है। लेकिन महिलाओं की भागीदारी के मामले में राज्य अब भी पीछे है। बीते वर्ष की तुलना में 7 लाख 5 हजार कम लोगों को इस साल अब तक रोजगार मिला है। हालांकि, वित्तीय वर्ष के खत्म होने तक इन आंकड़ों में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
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