पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। बिहार के माइनिंग एवं जियोलॉजी डिपार्टमेंट मिनिस्टर जनक राम के ओएसडी मृत्युंजय कुमार और उनकी महिला मित्र रत्ना चटर्जी पति-पत्नी की तरह रहते आ रहे हैं।
इसके अलावा 30 लाख रुपए कैश, सोने की 30 बिस्किट, 44 लाख रुपए की ज्वेलरी, पश्चिम बंगाल के सिल्लीगुड़ी में 33 लाख रुपए में खरीदे गए फ्लैट के पेपर, सिल्लीगुड़ी के ही प्लैनेट मॉल में दुकान, 3 लाख रुपए में कटिहार में जमीन खरीदने का पेपर, पटना में लोयला स्कूल के पास 32 लाख रुपए में खरीदी गई प्रॉपर्टी के पेपर बरामद हुए।
इनके अलावा एलआईसी के 3 अलग-अलग स्कीम के पेपर मिले। हर एक स्कीम में 40 हजार रुपए के हिसाब से 1 लाख 20 हजार रुपए महीने का प्रीमियम भरा जा रहा था।
टीम को मृत्युंजय कुमार अपनी महिला मित्र के साथ पटना के एसके पुरी स्थित फ्लैट पर ही मिल गए। बताया जा रहा है कि ओएसडी की नियुक्ति मंत्री के कहने पर हुई थी।
खबरों के मुताबिक छापामारी टीम ने अपनी पड़ताल के बाद दावा किया है कि ओएसडी मृत्युंजय कुमार ने जमकर काली कमाई की है, जो सरकार की तरफ से मिलने वाली सैलरी से काफी अधिक है। अब तक 1 करोड़ 73 लाख 4 हजार 922 रुपए की चल-अचल संपत्ति का पता चला है।
रत्ना चटर्जी और धनंजय कुमार के पास से जो कैश, संपत्ति या जेवर मिला है, वो सब अर्जित करने में मंत्री के ओएसडी मृत्युंजय कुमार का हाथ रहा है।
काली कमाई के जरिए अर्जित की गई संपत्ति को इन्होंने अपने नाम पर न खरीद कर भाई धनंजय कुमार और मित्र रत्ना चटर्जी के नाम पर खरीदा। मनी लॉड्रिंग के जरिए मृत्युंजय ने ब्लैक मनी को व्हाइट किया। इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं।
खनन मंत्री के आप्त सचिव मृत्युंजय कुमार और उनकी महिला मित्र रत्ना चटर्जी के पास कालेधन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने नोटबंदी के पहले वाले लाखों के पुराने नोट भी नहीं बदले।
रत्ना चटर्जी के कटिहार स्थित ठिकाने से ओएसडी ने लाखों के पुराने नोट भी जब्त किए हैं। सूत्रों के अनुसार, करीब साढ़े छह लाख के रुपए के पुराने नोट मिले हैं। ये नोट 500 और 1 हजार रुपए के हैं। ओएसडी इस मामले में मुकदमा करेगी।
मृत्युंजय कुमार खान अवं भूत्तव विभाग में पदस्थापित हैं। हाल के दिनों में यह महकमा बालू के अवैध खनन को लेकर सुर्खियों में रहा है।
चूंकि बालू के खनन की जिम्मेवारी भी इसी महकमे के तहत है, लेकिन उसी विभाग के मंत्री के आप्त सचिव के ठिकाने पर छापेमारी के बाद अकूत संपत्ति के खुलासे से ओएसडी भी चौकन्नी हो गई है।
ओएसडी ने भी कहा है कि मत्युंजय कुमार उनके भाई व रेलकर्मी धनंजय कुमार और मत्युंजय की महिला मित्र रत्ना चटर्जी के खाते से मोटी रकम के ट्रांजेक्शन हो रहे थे। आखिर ये पैसे कहां से आ रहे थे?
जाहिर तौर पर एसवीयू के पास यह सवाल भी है कि महकमा बालू का है तो स्रोत भी कहीं बालू ही तो नहीं? ओएसडी के सूत्रों के अनुसार आगे की तफ्तीश में इस एंगल से भी जांच होगी।
मृत्युंजय कुमार बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। मंत्री के ओएसडी से पहले ये बीडीओ थे। कटिहार समेत कई जिलों के ब्लॉक में इनकी पोस्टिंग रही है। पटना में एडीएम आपदा प्रबंधन के पद पर भी रह चुके हैं। इसके बाद ही वे मंत्री के ओएसडी बने।
ओएसडी की जांच में ही पता चला कि सरकारी नौकरी में आते ही इन्होंने पद का दुरुपयोग शुरू कर दिया था। शुरुआती दौर से ही भ्रष्टाचार करते आ रहे हैं।
मृत्युंजय कुमार के रिश्ते अपनी पत्नी आरती के साथ अच्छे नहीं थे। तलाक लेने के लिए कोर्ट में केस चल रहा था। उसी दौरान साल 2013 में पत्नी की मौत हो गई।
रत्ना चटर्जी सीडीपीओ रह चुकी हैं। साल 2011 में वो घूस लेते हुए रंगेहाथ विजिलेंस की टीम ने इन्हें पकड़ा था। उस वक्त रत्ना की पोस्टिंग ठाकुरगंज में थी। घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किए जाने के बाद उनको सरकारी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इन्हें सरकार ने सीधे बर्खास्त कर दिया था।
इसके बाद से इनके देख-रेख की पूरी जिम्मेदारी मृत्युंजय कुमार ने उठा ली। तब से दोनों साथ रह रहे हैं। अपने घर के पास में ही मृत्युंजय अपनी महिला दोस्त के लिए अलग से एक घर भी बनवा रहे हैं।
अपने ही विभाग के आप्त सचिव मृत्युंजय कुमार के ठिकानों पर छापेमारी के बाद खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी। गड़बड़ी में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई का निर्णय पहले ही सरकार का था, उसी के तहत कार्रवाई हो रही है।
खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री जनक राम के दो आप्त सचिवों पर एक महीने के भीतर दूसरी बार कानून का शिकंजा कसा है। उनके सरकारी आप्त सचिव मत्युंजय कुमार के ठिकानों पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में छापेमारी की।
इसके पहले पिछले महीने खनन मंत्री के आप्त सचिव बबलू आर्य को दिल्ली पुलिस ने संसद भवन का फर्जी पास बनवाने के मामले में गिरफ्तार किया था। बबलू पर आरोप था कि उसने गोपालगंज के जदयू सांसद डॉ.आलोक कुमार सुमन के लेटर हेड का गलत इस्तेमाल कर संसद भवन में प्रवेश का फर्जी पास बनवा लिया था।