बिहार के सीएम-डीजीपी बताएं, क्या पटना में हुई घटना की जांच अनुमति दूसरे राज्य की पुलिस को है?

0
311

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को इसका जवाब देना चाहिए। यह भी बताना चाहिए कि क्या बिहार सरकार व वहां की पुलिस बिहार के ही किसी दूसरे जिले में हुई किसी घटना की प्राथमिकी बिहार के ही किसी दूसरे जिला या थाना में दर्ज करने की इजाजत दे रखी है..

एक्सपर्ट मी़डिया न्यूज डेस्क।  एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्र ने कुछ दिन पहले एक ट्वीट किया था, ‘एक्टर्स, मीडिया व राजनीति ने उनकी मौत को “गींज” दिया। यह बिहार में बोला जाने वाला शब्द है। जिसका अर्थ होता है किसी बात या घटना को बहुत ही खराब कर देना।’

Nitish Modi corona elaction 3अब देखिये, इस केस में क्या हुआ। सुशांत की मौत के बाद नेपोटिज्म का सवाल उठा। कंगना रनौत समेत कई एक्टर्स ने इस पर खूब वीडियो वायरल किया।

टीवी चैनलों ने खूब दिखाया। बिहारियों ने इसका खूब सपोर्ट किया। ट्विटर पर ट्रेंड हुआ। अब 7 अगस्त को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो कहा, उसके अनुसार यह मामला बॉय फ्रेंड, गर्ल फ्रेंड और पैसा  से जुड़ा हुआ है।

ये बातें पुरानी हो चुकी। नेपोटिज्म के बाद बिहार के नेताओं ने मामले की सीबीआइ जांच का मुद्दा उठाया। बिहारियों ने खूब समर्थन दिया।

सुशांत के पिता ने पटना पुलिस को एक लिखित कंप्लेन दिया। जिसमें कहा कि सुशांत की मौत के लिये उनकी गर्ल फ्रेंड रही रिया चक्रवर्ती जिम्मेदार है। पुलिस ने इस पर प्राथमिकी दर्ज कर ली। बिहार पुलिस ने जांच के लिये एक टीम को मुंबई भेज दिया।BIHAR POLICE 1

बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय रोज टीवी स्क्रिन पर दहाड़ रहे हैं। इस बीच बिहार सरकार ने मामले की सीबीआइ जांच की शिफारिश कर दी। सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच भी शुरु कर दी है।

ऐसे में एक कानूनी सवाल खड़ा हो गया है। जिसका जवाब आगे चल कर बिहार सरकार, बिहार पुलिस और सीबीआइ को भी देना पड़ेगा।

सवाल यह उठ खड़ा हुआ है आखिर बिहार की पुलिस ने किस कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली। क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की मौत का घटनास्थल तो मुंबई है और वहां इसकी प्राथमिकी भी दर्ज है।

इससे भी बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर पटना में कोई घटना हो जाए, जिसकी प्राथमिकी पटना में दर्ज है। पीड़ित व्यक्ति किसी दूसरे राज्य का है।

मसलन यूपी, दिल्ली या केरल का। उसके परिवार वाले अपने गृह राज्य के थाना में आवेदन देते हैं। तो क्या बिहार पुलिस उस राज्य की पुलिस को पटना आकर उसी मामले की जांच करने की इजाजत दे देगी। वह भी तब जब पटना में उसी मामले में प्राथमिकी दर्ज है।

सोशल मीडिया पर गरजने वाले भी जरा अपने इलाके के थाना में जाकर पूछ लें कि क्या वह बगल के थाना क्षेत्र में हुई घटना की प्राथमिकी दर्ज कर सकते हैं। जवाब मिल जायेगा। ऐसे मामले में संबंधित थाना आवेदन को उस थाने में भेज देती है, जहां घटना हुई है।

चलिये, कुछ देर के लिये मान लिया जाये कि मुंबई पुलिस के द्वारा बिहार की पुलिस को जांच की इजाजत दे भी दी जाती। तो बिहार पुलिस क्या करती। बिहार पुलिस मामले में चार्जशीट कहां दाखिल करती?expert media news network

बिहार की अदालत में या मुंबई की अदालत में? क्या एक ही घटना के लिए दो अदालतों में चार्जशीट दाखिल हो पाता। और दोनों राज्यों की अदालत में ट्रायल चल पाना संभव है।

हद, तो यह हो गयी है कि बिहार पुलिस ने जो प्राथमिकी दर्ज की, उसी के आधार पर बिहार की सरकार ने मामले को सीबीआइ को ट्रांसफर कर दिया। और गृह मंत्रालय ने उसे स्वीकार भी कर लिया।

तो अब क्या इसी मामले में सीबीआई अलग चार्जशीट दाखिल करेगी और मुंबई पुलिस अलग। एक ही आरोपी के खिलाफ दोनों की चार्जशीट पर अलग-अलग अदालत सुनवाई करेगी और अलग-अलग सजा भी सुनायेगी।

कल को यही सारे सवाल उपरी अदालत में अभियुक्त के बचाव का हथियार बन जायेगा। यही सवाल सुप्रीम कोर्ट में उठेगा।

तो क्या यह लीगल प्वाइंट बिहार के डीजीपी को नहीं पता। और अगर पता है तो क्या वह सुशांत के नाम पर हो रही राजनीति का मोहरा बन चुके हैं।