“पूरे शिक्षा विभाग में खुद अपर मुख्य सचिव केके पाठक और कुछ अधिकारियों को छोड़कर अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी बेवजह के आदेशों से परेशान हैं। शिक्षा विभाग को अपकारी विभाग समझ कर घोर अव्यवहारिक आदेश जारी किया जा रहा है…
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। आसन्न लोकसभा चुनाव के ऐन मध्य में 26 अप्रैल से 5 मई 2024 तक सक्षमता परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि की घोषणा आचार संहिता का उल्लंघन है। यह अपने नियोक्ता सरकारी राजनीतिक दल को लाभ देने की कोशिश है।
उक्त गंभीर आरोप लगाते हुए बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर मनमानी का कई आरोप लगाया है।
बताया गया है कि लोकतंत्र के महापर्व आम चुनाव के ऐन मौके पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना द्वारा लाखों शिक्षकों की सक्षमता परीक्षा के तिथि की घोषणा की गई है। चुनाव के समय किसी भी नई नियुक्ति, पदोन्नति, परीक्षा की नई तिथि, सरकार के द्वारा बनाया गया कोई नया नियम और वे सभी विषय जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चुनाव को प्रभावित करता हो, स्पष्ट रुप से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाना चाहिए।
बकौल बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह, हम शिक्षक चुनाव के अभिन्न हिस्सा हैं, यह देश हमारा है, यह राज्य हमारा है हम अपने लोकतंत्र के महा पर्व के निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से संपन्न होने के हामी हैं । हम शिक्षक हैं तो शिक्षा विभाग की बात करेंगे। चुनाव आचार संहिता केवल शिक्षकों पर लागू नहीं है। यह हर एक नागरिक पर लागू है। चाहे वह कोई भी हो। लेकिन प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक इससे ऊपर हैं।
उन्होंने चुनाव आयोग और विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों का ध्यान इन बिंदुओं पर जाना चाहिए कि चुनाव के ऐन मौके बिल्कुल मध्य में 26 अप्रैल से 5 मई 2024 तक सक्षमता परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि की घोषणा आचार संहिता का उल्लंघन है। यह अपने नियोक्ता सरकारी राजनीतिक दल को लाभ देने की कोशिश है।
वहीं एक तानाशाह की तरह अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा गर्मी की छुट्टी में विद्यालय को खुला रखना पूरे लोकतांत्रिक व्यवस्था को खुली चुनौती है। 30 दिन की गर्मी के अवकाश में रोज़ हजारों शिक्षकों का वेतन काटना चुनाव आयोग को भी मुंह चिढ़ा रहा है।
यही नहीं, पहले अष्टम उत्तीर्ण होने के बाद बच्चे अपने पसंद का विद्यालय चुनने के लिए स्वतंत्र थे, लेकिन आज अपने ही पंचायत के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन बाध्यकारी है। विशेष परिस्थिति में पंचायत से अलग नामांकन जिला शिक्षा पदाधिकारी गण की अनुमति से हो सकेगा।
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