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बिहारशरीफ मंडल कारा में कैदी की संदिग्ध मौत, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ मंडल कारा में सजा काट रहे एक 20 वर्षीय विचाराधीन कैदी विजय कुमार की पावापुरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक के परिजन इसे संदिग्ध मानते हुए जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं कि उनके बेटे के साथ जेल में कोई अप्रिय घटना हुई, जिसकी जानकारी छिपाई जा रही है।

विजय के पिता कन्हैया राम का कहना है कि उनका बेटा हत्या के एक मामले में तीन महीने पहले कोर्ट में सरेंडर करने के बाद जेल में बंद था। अचानक से उसकी तबीयत खराब होने की सूचना 22 सितंबर को जेल प्रशासन ने दी। उसे पहले बिहार शरीफ अस्पताल भेजा गया, जहां से बेहतर इलाज के लिए पावापुरी रेफर किया गया।

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में इलाज के दौरान विजय को बाहर से दवाएं लानी पड़ती थीं और अचानक 24 घंटे के भीतर उसे “स्वस्थ” बताकर जेल वापस भेज दिया गया। कन्हैया राम ने कहा, “हमने बार-बार डॉक्टरों से कहा कि वह चलने-फिरने के लायक नहीं है, लेकिन हमारी बात को नकार दिया गया।”

दुखद बात यह है कि जब परिजन 24 सितंबर की सुबह पावापुरी अस्पताल पहुंचे तो उनका बेटा स्टेचर पर पड़ा था। कन्हैया राम ने यह भी बताया कि विजय के शरीर पर मारपीट के कई निशान थे, जिससे साफ होता है कि उसकी मौत के पीछे कुछ गंभीर है।

परिजनों ने पावापुरी अस्पताल पर भी आरोप लगाया है कि जब उनका बेटा गंभीर था तो उसे अस्पताल से क्यों निकाला गया? कन्हैया राम ने कहा, “हम सुबह 8 बजे अस्पताल पहुंचे और देखा कि हमारा बेटा मृत पड़ा है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए बिहार शरीफ भेजा, लेकिन एम्बुलेंस में 7 घंटे की देरी हुई।”

वेशक, इस तरह की घटना ने न केवल परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। स्थानीय मानवाधिकार संगठनों ने मामले की जांच की मांग की है। क्या विजय की मौत केवल एक हादसा है, या इसके पीछे छुपा हुआ सच सामने आएगा? यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।

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